जीवन में दानवता नहीं मानवता अपनाये

0
1

भारत गौरव आर्यिका विज्ञाश्री माताजी

फागी संवाददाता

श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र सहस्रकूट विज्ञातीर्थ गुन्सी जिला टोंक राजस्थान में विराजमान परम पूज्य भारत गौरव श्रमणी गणिनी आर्यिका गुरुमां 105 विज्ञाश्री माताजी ससंघ धर्म की भव्य प्रभावना बढ़ा रही है , कार्यक्रम में गुरु भक्त महेश सेठी,जीतू गंगवाल, पूरण गंगवाल,बाबूलाल जैन,धर्मचंद पराणा प्रताप नगर जयपुर ने आर्यिका श्री के दर्शन कर धर्म चर्चा करते हुए मंगलमय आशीर्वाद प्राप्त किया कार्यक्रम में आर्यिका संघ की आहारचर्या कराने का सौभाग्य पारस जी चैनपुरा,निर्मेष भाई कलोल गुजरात सपरिवार ने प्राप्त किय कार्यक्रम में संघस्थ भैया प्रतीक जैन सेठी ने बताया की भरी धर्म सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए माताजी ने कहा कि मनुष्य जीवन संयम से ही सार्थक कर सकते हैं। क्योंकि संयम के बिना हर प्राणी मानवता की परिभाषा को खो बैठता है। यदि सच्चा सुख चाहिए तो दानवता से मन को हटाकर मानवता की परिभाषा में जीवन यापन करें। मैं सुखी और तुम दुखी यह दानवता है और मैं भी सुखी और तुम भी सुखी यह मानवता है। माताजी से ससंघ द्वारा जैन धर्म की महती प्रभावना विज्ञातीर्थ क्षेत्र पर हो रही है। अनेकानेक धार्मिक आयोजनों के माध्यम से श्रद्धालुशांतिधारा,अभिषेक,पूजन,भक्ति, आराधना के द्वारा धर्म से जुड़ रहे हैं। प
संघस्थ ब्रह्मचारिणी रुची दीदी ने बताया की अतिशयकारी श्री शांतिनाथ भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य अशोक जी रूपनगढ़ ने प्राप्त किया।

राजाबाबू गोधा जैन महासभा मिडिया प्रवक्ता राजस्थान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here