जीवन का विकश-विलास से नहीं अपितु त्याग से होगा: आचार्य प्रमुख सागर

0
3

डिमापुर: क्षी दिंगम्बर जैन मंदिर (डिमापुर) मे विराजित आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज संसघ के सानिध्य मेंं चल रहे पर्युषण पर्व के आठवें दिवस के उपलक्ष में आचार्य श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह जीवन-सरिता के दो किनारे हैं। एक किनारा त्याग का है और दूसरा किनारा भोग का है। दुनिया में सभी धर्म सम्प्रदायों ने त्याग रूपी जीवन तट को प्रशस्त कहा है। परन्तु व्यक्ति का झुकाव प्रेय की ओर रहा है। स्मरण रहे जीवन का विकाश, विलास से कभी नहीं होगा, अपितु त्याग से होगा। यदि वृक्ष फलों का त्याग न करें, नदी जल का त्याग न करे या बादल बरसना बंद कर दें तो सर्वत्र त्राहि-त्राहि हो जाएगी। उन्होंने कहा कि त्याग ज्ञान का सहज परिणाम है। क्योकि त्याग किया नहीं जाता वह तो सहज ज्ञान के प्रकाश में हो जाता है। ऐसे त्याग में जो छूटता है वह निर्मूल्य है और जो पाया जाता है वह अमूल्य है। मुक्ति पाने के लिए त्याग ही एक मात्र ऐसी शक्ति है जो इस आर्कषण से जन्मे गहरे संस्कार को तोड़ने में सक्षम है। आचार्य श्री ने कहा कि त्याग चार प्रकार के होते है। मन, वचन, काया, उपकरण। जब मन, वचन और काया की शुभता हो तो उपकरणों का त्याग सहज हो जाता है। ऐसा त्याग ही ममत्व से मुक्त कर सकता है और ऐसी साधना उसे मंजिल तक पहुँचा सकती है और यही उत्तम त्याग है। उल्लेखनीय है कि इस बार एक सौ भाई-बहने दसलक्षण व्रत एवं उससे ऊपर कि तपस्या कर रहे है।इन सभी व्रती भाई- बहनों का सामुहिक अभिनंदन बुधवार को महावीर भवन प्रांगण मे किया जाएगा। यह जानकारी पुष्पप्रमुख वर्षा योग समिति के मीडिया सयोंजक राजेश ऐलानी द्वारा दी गई है।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here