जीवन का अधिकांश हिस्सा, हम बुद्धि से जीते हैं, विवेक से नहीं..!जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज

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जीवन का अधिकांश हिस्सा, हम बुद्धि से जीते हैं, विवेक से नहीं..!जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज
तरुणधाम तीर्थ/कोडरमा -जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागरजी महाराज एवं उपाध्याय 10 पियूष सागरजी महाराज ससंघ तरुणसागरम तीर्थ पर वर्षायोग हेतु विराजमान हैं उनके सानिध्य में वहां विभिन्न धार्मिक
कार्यक्रम संपन्न हो रहें हैं उसी श्रृंखला में उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने बताया कि मैं देख रहा हूं – संसार में जन्म लेने के लिए हम 9 माह- मां के पेट में इन्तजार करते हैं।
जन्म होने के बाद चलने के
लिए 2 वर्ष,
स्कूल में एडमिशन के लिए 3 वर्ष,
मतदान के लिए 18 वर्ष,
शिक्षा के लिए 24 वर्ष,
नौकरी के लिए 25 वर्ष,
विवाह के लिए 26 से 28-30 वर्ष।
ऐसे अनेक अवसरों पर इन्तजार करते हैं, लेकिन गाड़ी ओवरटेक करते समय हम 30 सेकेंड का भी इन्तजार नहीं कर पाते। बाद में एक्सीडेंट हो गया और कहीं बच गए तो कई घन्टो, महिनो, सालों अस्पताल में पड़े पड़े य बेडरेस्ट में 6 महिने-साल भर य पूरी जिन्दगी बिस्तर पर पड़े पड़े निकाल देते हैं। कुछ समय की लापरवाही य हड़बड़ी का कितना बड़ा नुकसान खुद को भोगना पड़ता है। जाने वाले चले जाते हैं, परन्तु पीछे वालों का क्या ? इस पर समझदार इन्सान को चिन्तन करना चाहिए। इसलिए सही रफ्त्तार, सही दिशा में अपने अपने वाहन बहुत सम्भल कर चलाएं, जिससे घर पर जो बूढ़े मां बाप बेटा बेठी पत्नी, बहिन भाई इन्तजार कर रहे हैं, वो आपके जरा से पागलपन से परेशान ना हो।

खुद की लाइन को बड़ा करें, दूसरे की लाइन को मिठाकर, य पोंछ कर छोटा न करें…!! संकलन कर्ता कोडरमा मीडिया प्रभारी जैन राज कुमार अजमेरा,मनीष जैन सेठी

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