फागी संवाददाता
जयपुर शहर में उपाध्याय 108 श्री उर्जयन्त
सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में जयपुर शहर के श्री दिगम्बर जैन मंदिर पार्श्वनाथ जी सोनियान खवास जी का रास्ता जिनालय में 44 दिवसीय कल्याण मंदिर विधान का विभिन्न मंत्रोच्चारणों के द्वारा भव्यता से समापन हुआ कार्यक्रम में जैन गजट के संवाददाता राजाबाबू गोधा को जानकारी पर ज्ञात हुआ कि उक्त ऐतिहासिक महानुष्ठान के समापन पर श्री जी को पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराया तथा 44वें दिवस पर पावन पर्व अक्षय तृतीया पर भक्ति भाव से पूजा अर्चना कर श्री जी का ईक्षुरस से अभिषेक कर विश्व शांति हेतु महायज्ञ किया गया, कार्यक्रम में मन्दिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कमल दीवान ने बताया कि परम पूज्य वात्सल्य रत्नाकरआचार्य श्री 108 विमल सागर जी महाराज के अंतिम दीक्षित शिष्य उपाध्याय 108 श्री उर्जयन्त सागरजी मुनिराज की पावन प्रेरणा एवं सानिध्य में जयपुर में प्रथम बार सम्पन्न हुए ऐतिहासिक 44 दिवसीय कल्याण मंदिर विधान महानुष्ठान के 44वें दिवस समापन पर विधान में सम्मिलित होने परम पूज्य 108 जयकीर्तिजी मुनिराज का आगमन प्रातः मन्दिर जी में हुआ। परम पूज्य 108 उपाध्याय श्री उर्जयन्त सागरजी मुनिराज से महामिलन हुआ। दोनों मुनिराजो के पावन सानिध्य में महा अतिशयकारी देवाधिदेव 1008 पार्श्वनाथ भगवान की खडगासन प्रतिमा का मस्तकाभिषेक, शांति धारा के पश्चात आदिनाथ भगवान की पालकी यात्रा में श्रावकों ने भक्ति भावना से नाचते गाते जयकारो के साथ नगर भ्रमण कराकर मंदिरजी में ईक्षुरस से अभिषेक कर अक्षय तृतीया पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। इसके पश्चात सर्वविघ्नोंपद्रव विनाशक, सर्व रोग शोक संकट हराए, सर्व तुष्टि- पुष्टि कराए, सर्व आदि व्याधि दोष ग्रह निवारक कल्याण मंदिर विधान के अंतिम दिन विधान पुजा भक्ति भाव से नाचते गाते आनन्द पूर्वक सम्पन्न हुई। इसके उपरांत विश्व शांति की मंगल भावना से महायज्ञ किया गया।
मन्दिर प्रबंध समिति के मंत्री संजय गोधा ने बताया कि आज के विधान के मुख्य पुण्यार्जक श्रीमती सुलोचना, श्री जयकुमार जी, श्रीमती प्रियांशी, श्री यशवर्धन, श्रीमती यशोधरा, श्री नीलेश, सुश्री इनायत जैन कोटा वाले परिवार एवं श्री रुपेन्द्र जी, श्री ज्ञानेश जी छाबड़ा परिवार रहे। विधान की क्रियाएं पंडित श्री पारस जी सौगाणी ने विभिन्न मंत्रोच्चारणों के बीच सम्पन्न करवाई करवाई,संयोजक महेश छाबड़ा ने बताया इस अवसर पर मुनि श्री जयकीर्तिजी मुनिराज ने गुरु पर विश्वास व समर्पण के जीवन में महत्व और उपयोगिता को सरल भाषा में समझाया। विधान में कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक रुपेन्द्र (अशोक) छाबड़ा ने बताया की परम पूज्य उपाध्याय श्री ने अपने प्रवचनों में कल्याण मंदिर विधान कि महिमा और अक्षय तृतीया पर्व के महत्व बताते हुये सभी श्रावकों से अतिशयकारी भगवान पार्श्वनाथ के नियमित दर्शन अभिषेक पूजन करने का आव्हान किया।विधान में कार्यक्रम संयोजक संतोष छाबड़ा व अनंत कासलीवाल ने आगंतुकों का तिलक, माला,साफा पहनाकर सम्मान किया मंदिर प्रबंध समिति के उपमंत्री श्री रवि पांड्या ने बताया कि ए. वी. एस फाउंडेशन जयपुर के पदाधिकारियों के पूर्ण सहयोग से कार्यक्रम का सफलता पूर्वकआयोजन सम्पन्न हुआ।
राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान