जरूरत से ज्यादा धन दौलत – अहंकार,, आपके घर परिवार,, व्यापार,, रिश्तों की अहमियत को कमज़ोर कर देता है.

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 औरंगाबाद  उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा   चल रहा है इस दौरान  भक्त को  प्रवचन  कहाँ की
जरूरत से ज्यादा धन दौलत – अहंकार,, आपके घर परिवार,, व्यापार,, रिश्तों की अहमियत को कमज़ोर कर देता है..!
दीपावली के मांगलिक उत्सव पर कुछ टिप्स ~ इसलिये कि शायद यह दीवाली हर रोज की दिवाली बन जाये —
जब भी मन खाली हो – तब यह मन्त्र मन ही मन बोलते रहें – ॐ नमः सबसे क्षमा – सबको क्षमा – ॐ नमः
नित्य अपनी गृह लक्ष्मी को कुछ न कुछ राशि जरूर से दें।
खाली जेब कभी घर से ना निकलें, कुछ ना कुछ जेब में लेकर ही निकलें।
 गुरू पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र के दिन अपने गुरू के समक्ष ~ एक दीप जलायें और गुरू नाम की 5-7-9 माला जाप करें। (यदि गुरू प्रत्यक्ष ना हो तो तस्वीर के समक्ष जाप करें)
अष्टमी – चतुर्दशी को बाजार में नहीं खायें, एवं बाजार का ना खायें।
अष्टमी – चतुर्दशी को सम्भव हो तो उपवास करें। यदि सम्भव ना हो तो एकासन करें।
 नित्य मेरी भावना, निर्वाण काण्ड, आलोचना पाठ, समाधि पाठ एवं बिना जीभ हिलाये, बिन उंगली चलाये — मन ही मन 10 मिनट णमोकार मंत्र पढ़ें।
पूर्णिमा – अमावस या चतुर्दशी को परिवार के साथ बैठकर मन्दिर या घर के मन्दिर में शान्ति विधान, या भक्तामर का पाठ दीप जलाकर करें।
 सुख दुःख का सारा खेल हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा हुआ है। सुख दुःख कुछ नहीं, सिर्फ मन का समीकरण है।
 यूं तो पुण्य को बढ़ाने के हजार मार्ग है,, लेकिन पुण्य को गाढ़ा करने के सबसे सरल तीन मार्ग है – (1) देव दर्शन, (2) माता पिता को प्रणाम, और (3) 10 मिनट स्वाध्याय करना,, क्योंकि बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलेगा।
संसार में धर्म ही एक ऐसा तत्व है जो सबके साथ समान व्यवहार करता है। इसलिए धर्म और धर्मात्मा सबको जोड़ता है।
आपको भगवान नहीं बना सकते,, लेकिन भगवान बनने का मार्ग जरूर बता सकते हैं…!!!नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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