तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ नाथ जी का जन्म कल्याणक दिवस पर जन्म स्थली मंदिर पर साफ़ सफाई की दरकार।
बदनावर नगर में खेत से प्राप्त हुई थी दो सुपार्श्वनाथ जी की प्रतिमा।
बदनावर। श्रमण संस्कृति सातवें तीर्थंकर श्री सुपार्श्वनाथ नाथ जी का जन्म जेष्ठ शुक्ला बारस के दिन प्राचीन धर्म नगरी वाराणसी में पिता सुप्रतिष्ठ राजा एवं माता पृथ्वीश्वेता देवी के हुआ था। आप इक्ष्वाकु वंश की थे। आपका निर्वाण प्रसिद्ध जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी के प्रभास कुट से हुआ था। जहां प्रतिवर्ष लाखों भक्त दर्शन को जाते हैं। भगवान महावीर स्वामी के 2550 वे निर्वाण कल्याणक महोत्सव वर्ष एवं भगवान पार्श्वनाथ जी के 2800वे निर्वाण कल्याणक, 2900वे जन्म कल्याणक वर्ष के अन्तर्गत आये इस पर्व को सम्पूर्ण विश्व में जैन समाज द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मंगलवार को मनाया जाएगा।
उक्त जानकारी देते हुए वर्द्धमानपुर शोध संस्थान के ओम पाटोदी ने बताया कि वाराणसी में जैन घाट भदैनी पर स्थित भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली मंदिर एवं स्याद्वाद महाविद्यालय के बाहर जो गंदगी पसरी हुई है, उस पर तुरंत ध्यान देने की नितांत आवश्यकता है। वहां जाने का मार्ग संकरी गली से होकर गुजरता है जिसमें गंदा पानी मन्दिर की दिवालों पर रिसता रहता है। भगवान के जन्म कल्याणक दिवस के अवसर पर जैन समुदाय द्वारा शासन प्रशासन से उपरोक्त धार्मिक तीर्थ की स्वच्छता और सुंदरता को बरकरार रखने में समुचित सहयोग करने की अपेक्षा की है। वही गंगा घाट सफाई अभियान एवं स्वच्छ सुंदर वाराणसी प्रोजेक्ट के अन्तर्गत चंद्रप्रभ घाट पर भी प्रशासन ध्यान देवे क्योंकि सभी धर्म स्थलों की साफ-सफाई सुन्दरता के बगैर यह अभियान अधुरा सा ही होगा।
पाटोदी ने भगवान श्री सुपार्श्वनाथ जी की बदनावर नगर में कई वर्षों पूर्व उत्खनन के दौरान खेत में से प्राप्त मूर्तियों के बारे में बताया कि उस समय प्रचुर मात्रा में पुरातत्व महत्व की सामग्री प्राप्त हुई थी जिसमें दो सुंदर, मनोज्ञ सांगोपांग प्रतिमा भगवान श्री सुपार्श्वनाथ स्वामी की भी प्राप्त हुई थी। वर्तमान में ये दोनों प्रतिमा उज्जैन के जयसिंहपुरा जैन संग्रहालय में 209 व 304 क्रमांक पर प्रदर्शित की हुई है।