जलाभिषेक शांति धारा के साथ भगवान सुपार्श्वनाथ मंडल विधान की हुई पूजन

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 भगवान सुपार्श्वनाथ स्वामी के निर्वाण महोत्सव दिवस पर निर्वाण लाडू चढ़ाया
भगवान चंद्रप्रभु स्वामी की भी हुई पूजन
 सनावद-  जैन समाज में तीर्थंकरों के मोक्ष कल्याणक अनेक धार्मिक कार्यक्रमों के साथ मनाए जाते हैं। फाल्गुन कृष्ण सप्तमी के दिन सातवें तीर्थंकर भगवान सुपार्श्वनाथ स्वामी का मोक्ष कल्याणक दिवस है। इस उपलक्ष में श्री सुपार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शनिवार को जलाभिषेक, शांतिधारा, भगवान सुपार्श्वनाथ मंडल विधान की संगीतमय पूजन के साथ निर्वाण महोत्सव निर्वाण लाडू चढ़ा कर मनाया गया। इसी दिन आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभु का केवलज्ञान दिवस होने के कारण भगवान चंद्रप्रभु स्वामी की भी पूजन की गई।
उपरोक्त जानकारी देते हुए डॉ. नरेन्द्र जैन भारती ने बताया कि प्रातः 7 बजे से शुद्ध धोती दुपट्टे पहनकर  नरेश पाटनी, संतोष बाकलीवाल, सत्येंद्र जैन, निलेश बाकलीवाल, राजेश चौधरी, आशीष झांझरी ,शैलेंद्र जैन, प्रकाश पाटनी, राकेश जैन, कमलेश भूच, जंगलेश जैन, आशीष पाटनी, हेमेंद्र जैन, अचिन्त्य जटाले ने सामूहिक जलाभिषेक शांति धारा के बाद नित्य नियम पूजा, भगवान चंद्रप्रभु स्वामी के केवलज्ञान की पूजा के बाद डॉ. विवेक जैन, सलित जैन, समाज अध्यक्ष मनोज जैन, शुभम जैन, प्रियम जैन, देवेंद्र जैन , दिनेश पाटनी, संगीता बाकलीवाल, संगीता पाटोदी, संध्या जैन, मंजुला भूच, हिरामणि भूच, सपना जैन, मीना बाकलीवाल, विनीत जैन, चंदा पाटनी, चेतन गोधा, रेखा जैन सहित अनेक श्रद्धालुओं ने संगीत की स्वर लहरियों के बीच मंडल पर 108  अर्घ्य समर्पित कर भगवान सुपार्श्वनाथ मंडल विधान की पूजा की। विधान की रचयित्री पूज्य ज्ञानमती माताजी के अनुसार अतिशय महिमा एवं अनंतगुणों से मंण्डित भगवान सुपार्श्वनाथ मंडल विधान जो भी श्रद्धालु जन प्रथम से लेकर चतुर्थ वलय तक 27-27 अर्घ्य चढ़कर 108 अर्घ्य के साथ भगवान की पूजन श्रद्धा भक्ति से करते हैं वे एक दिन स्वर्ग के दिव्य सुखों को प्राप्त कर कर्मभूमि में जन्म लेकर साधु बनकर सिद्ध पद को प्राप्त करते हैं। निर्वाण कांड भाषा के सामूहिक पाठ के वाचन तथा पावन सिद्ध क्षेत्र सम्मेद शिखरजी में प्रभासकूट से अष्टकर्मो का नाश कर मोक्ष को प्राप्त हुए भगवान सुपार्श्वनाथ स्वामी तथा अनगिनत सिद्ध परमात्माओं का स्मरण का निर्वाण लाडू चढ़ाया। सपना शैलेंद्र जैन ने सिद्धशिला का आकार बनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाया। आरती के साथ सामूहिक कार्यक्रम का समापन हुआ। श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर, आदिनाथ जिनालय में भी श्रद्धालुओं ने पूजा, अर्चना कर भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया।

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