जैसा भोजन होगा वैसा ही भजन होगा

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यदि भोजन शुद्ध नहीं है, तो भजन शुद्ध नहीं होगा।           अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज      औरंगाबाद नरेंद्र /पियुष जैन       (20 मई) अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज की उत्तराखण्ड के बद्रिनाथ से हरिद्वार तरुणसागरम अहिंसा संस्कार पदयात्रा चल रही है आज  तरुण सागरम तीर्थ अहिंसा संस्कार पद यात्रा हरिद्वार दिगम्बर जैन समाज कों प्रवचन के मध्याम से गुरुदेव अंतर्मना ने प्रदान किये कई नियम अंतर्मना गुरुदेव ने कहा कि एक बार मरू बार बार मत मरू  पर आज के दौर में व्यक्ति रोज मर रहा है उभय मासोपवासी साधना महोदधि प.पू. अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज उपाध्याय श्री 108 पियूष सागर जी महाराज श्री दिगंबर जैन पंचायती 102 हरिद्वार मार्ग, ऋषिकेश, देहरादून उत्तराखंड प्रातः पूजन दीप आराधना हुई संपन्न
श्री दिगम्बर जैन मंदिर ऋषिकेश साधना के शिरोमणि अंतर्मना गुरुदेव के मुखरविन्द से  संपन्न हुई अभिषेक शांतिधारा अंतर्मना गुरुदेव ससंघ का देवो कि नगरी हरिद्वार कि सीमा में हुआ मंगल प्रवेश
 14 वें दिवस में बद्रीनाथ से लगभग 320 किलोमीटर की दुरी की तय कर निरंतर चल रहा है मंगलमय पदविहार उत्तराखंड
 अंतर्मना गुरुभक्त परिवार के द्वारा अष्टद्रव के सहित रूप से संपन्न हुई गुरुपूजन श्री जयराम आश्रम 04 श्री गंगा स्वरुप आश्रम भूपत बाला हरिद्वार उत्तराखंड
भागीरथी नदी के किनारे संपन्न संध्या गुरुभाक्ति प्रवचन मंगल आरती  20/05/2025 श्री दिगम्बर जैन मंदिर हरिद्वार उत्तराखंड में आहारचर्या  संपन्न हुई  उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि
स्वाद और विवाद दोनों छोड़ देना चाहिए..
     स्वाद को छोड़ो तो शरीर को फायदा और विवाद को छोड़ो तो सम्बन्धों को फायदा..!
भोजन का जीवन से गहरा सम्बन्ध है, जैसा भोजन होगा वैसा ही भजन होगा –
 यदि भोजन शुद्ध नहीं है, तो भजन शुद्ध नहीं होगा। जिसका खानपान शुद्ध नहीं है, उसका खानदान शुद्ध नहीं है।  जिसकी रोटी शुद्ध नहीं है, उसकी बेटी शुद्ध नहीं है जिसका आहार शुद्ध नहीं है, उसका व्यवहार शुद्ध नहीं है।
भोजन यह सोचकर करो, कि मैं नहीं खा रहा हूँ, अपितु मेरे भीतर जो परमात्मा मौजूद है — राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, उसे मैं अर्घ चढ़ा रहा हूँ। जब तुम भोजन यह सोचकर करोगे, तो फिर कभी तुम माँस नहीं खा सकोगे, शराब नहीं पी सकोगे, जर्दा-तंबाकू नहीं खा सकोगे-?क्या भगवान की पवित्र मूर्ति पर कभी तुम अपवित्र चीजों को भोग लगा सकते हो-?  नहीं। क्योंकि ऐसा करना पाप है, ठीक इसी प्रकार भोजन से पूर्व यह सोच लो–कि मैं अपने भीतर विराजमान आत्मदेव को अर्घ चढा रहा हूँ। उनको भोग लगा रहा हूँ, तो फिर  मैं समझता हू कि गलत पदार्थ व्यक्ति कभी नहीं खा सकता है। फिर शराब का सेवन नहीं कर सकता है, फिर बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू, गुटका, नहीं खा सकता है…!!    नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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