जैसा भविष्य चाहिए वैसे ही कर्म करने चाहिए,स्वयं के भाग्य लिखने की ताकत आपके पास ही है आर्यिका वर्धस्व नंदनी

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(तिजारा अलवर ) चंद्र प्रभु अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा में विराजमान दिगंबर जैन आचार्य वसुनंदी जी महाराज की शिष्या आर्यिका वर्धस्व नंदिनी माताजी प्रतिदिन प्रातः आर्ट आफ थिंकिंग विषय पर विशेष उद्बोधन प्रदान कर जीवन जीने की कला सीखा रही है। उन्होंने कहा कि संसार में प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर है क्योंकि प्रत्येक जीव अपने भाग्य का निर्माता होता है।
उन्होंने श्रावकों से कहा कि कितना मुश्किल होता है यदि यह कहा जाए कि, सामने वाला जो भी करें अच्छा या बुरा, उसका फल आपको मिलेगा, तब आप सही में पराधीन हो जाते हैं। दुखी और तनावग्रस्त हो जाते हैं। किंतु अपने भविष्य एवं भाग्य को लिखने की ताकत आपके स्वयं के पास ही है। अतः अपना भाग्य लिखने में प्रमादी ना बने। किसी के साथ बुरा व्यवहार कर धोखा दे,हिंसक प्रवृत्ति अपना कर प्रसन्न नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह सब आप स्वयं अपने भविष्य में लिख रहे हैं। इसलिए जैसा भविष्य चाहते हैं वैसा कर्म करना प्रारंभ करें। उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि अपनी करनी का फल आज नहीं तो कल अवश्य मिलेगा इसके लिए आपको तैयार रहना चाहिए। धर्म जागृति संस्थान के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कक आर्यिका संघ के वर्षा योग करने से जहां तिजारा की धरा पर महती धर्म प्रभावना हो रही है वहीं लोगों में जीवन के प्रति सकारात्मक सोच का विकास हो रहा है।

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