विचित्र बाते प्रणेता मुनी श्री सर्वार्थ सागर जी महाराज ने शरदपूर्णिमा के दिन नांदणी में अपने प्रवचन में कहा की, पूज्य गुरुदेव संत शिरोमणी आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज जी के चरणो में मैं कहना चाहता हुं की,पूज्य गुरुदेव संत शिरोमणी आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज जी जैनों का अभिमान रहे |
संत शिरोमणी आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज दिगंबरत्व की शान रहे | जैनों का अभिमान रहे | श्रमण संघ का स्वाभिमान रहे | जन जन के लिए वो सम्यक्त्व की पेहचान रहे | इस विश्व वसुंधरा पर संतो में सबसे महान रहे | विद्यासागर गुरुवर धरती पर चलते फिरते भगवान रहे |
आज हैं धन्य दिवस, जो पाया था संत शिरोमणी आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी गुरुदेव को | शरद पूर्णिमा के दिन जन्मे विद्याधर ने धरा था दिगंबर वेश को | वे इस वसुधा पे आए तो जन जन का कल्याण किए |शुद्ध साधना के साथ जो परम आनंद से जिए |
ऐसे त्रिलोक पूज्य गुरुदेव के पावन चरणो में शरदपूर्णिमा के दिन उनके जन्म जयंती पर मैं उनको स्मरण करते हुए उनको नमन करता हुं नमोस्तु गुरुवर!नमोस्तु गुरुवर!
साभार राजेश जैन दद्दू
शब्दांकन – श्री अभिषेक अशोक पाटील
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