जैन विद्या के विविध आयाम युवा विद्वत्संगोष्ठी एवं विद्वत् सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न

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51 विद्वान हुए सम्मिलित
संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन के लिए युवा विद्वान आगे आएं : मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज
संगोष्ठी-सम्मेलन में हुआ विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर संवाद
मुनिश्री बोले विद्वान सेतु का काम करें
अहार जी जिला टीकमगढ़। परम पूज्य मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज, परम पूज्य मुनि श्री प्रणत सागर जी महाराज के मंगल सान्निध्य में ब्र. जयकुमार जी निशान्त व डॉ नरेंद्र कुमार जी टीकमगढ़ के निर्देशन तथा डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर के संयोजकत्व में सिद्धक्षेत्र अहार जी जिला टीकमगढ़ में उत्कर्ष समूह भारत व सिद्धक्षेत्र अहार जी कमेटी के तत्वावधान में 2 व 3  जनवरी 2025 को दो दिवसीय जैन विद्या के विविध आयाम युवा विद्वत्संगोष्ठी एवं विद्वत् सम्मेलन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ जिसमें 51 विद्वान सम्मिलित हुए । विविध विषयों पर आलेख प्रस्तुत किए गए। संगोष्ठी में चार सत्रों में आलेख एवं शाम के सत्र विद्वत् परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें विभिन्न ज्वलन्त और प्रासंगिक बिंदुओं पर संवाद हुआ।
संगोष्ठी में डॉ. नरेद्र कुमार जैन टीकमगढ़ ने संस्कृति और साहित्य के विकास में बुन्देलखंड की जैन विद्वत् परम्परा का योगदान, ब्र. जयकुमार निशांत टीकमगढ ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विसंगतियां एवं उसके समाधान, डॉ. निर्मल शास्त्री टीकमगढ़ ने अभिषेक, शांतिधारा एवं आगमोक्त दृष्टि, पंडित मुकेश शास्त्री ललितपुर ने श्रावक के छह आवश्यक का स्वरूप एवं वर्तमान संदर्भ में उनकी उपादेयता, पंडित संजीव शास्त्री महरौनी ने तीर्थ का स्वरूप तथा वर्तमान में बढ़ती विसंगतियां एवं समाधान, डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर ने शास्त्रीय भाषा चयन के मापदण्ड एवं शास्त्रीय भाषा प्राकृत के प्रति हमारे दायित्व व कर्तव्य, डॉ. आशीष आचार्य सागर ने प्राकृत भाषा का वैशिष्ट्य,पंडित सुनील सुधाकर सागर ने  दान का स्वरूप तथा वर्तमान में पनपती विसंगतियां एवं समाधान, पंडित मनीष संजू टीकमगढ़ ने पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं एवं मुहूर्त आगम के परिप्रेक्ष्य में, डॉ. राजेश शास्त्री ललितपुर ने  ज्ञान मात्र ही मुक्ति का कारण नहीं?, पंडित विनीत शास्त्री, ललितपुर ने सच्चे गुरू का स्वरूप आगम के परिप्रेक्ष्य में, डॉ. सचिन शास्त्री ललितपुर ने पूजा/भक्ति का स्वरूप एवं वर्तमान में उपादेयता, डॉ. आशीष शास्त्री (बम्होरी ) दमोह ने  शौरसेनी आगम साहित्य की भाषा का मूल्यांकन, पंडित राकेश भारिल्ल, टीकमगढ़ ने महाव्रतों के पहले अणुव्रतों की उपादेयता, पंडित सुनील प्रसन्न हटा, बड़ागांव ने भारतीय संस्कृति पर जैन पर्वों का प्रभाव, पंडित अनिल शास्त्री सागर ने सच्चे शास्त्र का स्वरूप इन विषयों पर अपने आलेख प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर मुनि श्री सुप्रभसागर जी महाराज ने कहा कि ज्ञान को बोझ नहीं समझना चाहिए। हमारी श्रुत परम्परा कानों से प्रारंभ हुई थी और कानों से ही बचेगी। युवा विद्वानों को  स्वाध्याय के प्रति सजग रहना चाहिए। वक्ता बनने के पहले अच्छे श्रोता बनो। विद्वानों को सेतु का काम करना चाहिए। आज तीर्थों पर कम्फर्ट ज़ोन बन रहे हैं जो चिंतनीय है। आज अर्थ की प्रधानता से गुरु की पहचान कर रहे हैं। गुरु के भेद कहे गए हैं गुरु में भेद नहीं कहा गया है। हम दर्पण बनें, दर्पण की भांति सत्य को मानें। जहाँ जैसी व्यवस्था है वैसी चलने दें, कोई छेड़छाड़ न हो। जिनवाणी को जिनवाणी ही रहने दें उसे जनवाणी न बनाएं। सोशल मीडिया का सावधानी पूर्वक उपयोग करें। आज सोसल मीडिया की कट पेस्ट के कारण अनेक विसंगतियां देखने को मिल रहीं हैं, अनेक विवाद उपज रहे हैं। सोसल मीडिया के दुरुपयोग के कारण संतवाद और पंथवाद को बढ़ावा मिल रहा है। शास्त्र शस्त्र का कारण न बनें।  हमें हमेशा संगठित रहना चाहिए , आज संगठित होना समय की मांग है।
विद्वान जिनवाणी के लाल हैं, उनके द्वारा जैनधर्म, संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अभूतपूर्व अवदान दिया गया है। यह संगोष्ठी, सम्मेलन युवा विद्वानों को समर्पित है। युवा विद्वानों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, आप सभी से बहुत अपेक्षाएं हैं।
इस मौके पर शिक्षाविद दामोदर जैन भोपाल, पंडित महेश शास्त्री कारीटोरन,प्रतिष्ठाचार्य मनोज कोठिया अहार, सुनील शास्त्री सोजना, प्रतिष्ठाचार्य मनोज शास्त्री बगरोही, राजेश शास्त्री भगवा टीकमगढ़, शीलचंद्र शास्त्री ललितपुर, अजित वैद्य बड़ागांव, पंडित राकेश वैसा, प्रतिष्ठाचार्य अखिलेश शास्त्री रमगढ़ा, शैलेन्द्र शास्त्री भेलसी, राजकुमार शास्त्री भगवा, सिंघई जिनेंद्र शास्त्री बड़ामलहरा, विजय शास्त्री शाहगढ़, संतोष शास्त्री शाहगढ़ , विनय शास्त्री अहार जी, पंडित श्रीनंदन टीकमगढ़, पंडित वीरेंद्र जैन टीकमगढ़, पंडित इंद्र कुमार जैन ककरवाहा, पंडित सचिन चिन्मय टीकमगढ़, पंडित जयकुमार बड़ागांव, कैलाश शास्त्री मैनवार, उमेश शास्त्री कुड़ीला , राजेन्द्र शास्त्री सरकनपुर, महेश शास्त्री बड़ामलहरा, संदीप शास्त्री भगवा, अरविंद शास्त्री बडेरा, मुकेश शास्त्री भगवा, चक्रेश शास्त्री हटा , अनीश शास्त्री घुवारा, सुनील शास्त्री मड़ावरा, शुभम शास्त्री हटा, धन्यकुमार शास्त्री बड़ामलहरा, सौरभ शास्त्री अहार, ऋषभ शास्त्री अहार,  धर्मेंद्र शास्त्री , पंडित अंकित जैन बड़ागांव आदि 51विद्वानों की गरिमामय उपस्थिति रही।
2 जनवरी को शाम को सम्यक समाधान कार्यक्रम के बाद विद्वत् परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें विद्वानों ने अनेक ज्वलंत और प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी-अपनी बात रखी।
संगोष्ठी के समापन के अवसर पर उत्कर्ष समूह भारत की ओर से संयोजक अरविंद बुखारिया इंदौर, इंद्र कुमार सिंघई बानपुर, नीरज जैन तथा सिद्धक्षेत्र अहार जी की ओर से अध्यक्ष महेन्द्र जैन बड़ागांव, महामंत्री राजकुमार जैन पठा, संयुक्तमंत्री द्वय अभिषेक जैन मैनवार, विजय जैन कोठिया ने सभी विद्वानों को माला, तिलक, प्रतीक चिह्न, साहित्य, प्रमाण पत्र आदि के साथ सम्मानित किया।
-डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर
संयोजक

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