जैन उपनाम को अपनाने हेतु समाज से विनम्र निवेदन

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धर्म जागृति मंच ने साधर्मी बंधुओं से की अपील

नई दिल्ली (मनोज जैन नायक) भारत सरकार के आंकड़ों में जैन समाज की संख्या काफी कम अंकित है । इसका मूल कारण जैन समाज के बंधुओं द्वारा स्वयं के नाम के साथ जैन न लिखते हुए अपने गोत्र आदि लिखना है ।
दिगंबराचार्य वसुनंदी जी महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद से संचालित संस्था अखिल भारतवर्षीय धर्म जागृति संस्थान के महामंत्री इंजीनियर भूपेंद्र जैन द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार द्वारा की जाने वाली जनगणना में हमारे अधिकांशतः भाई बंधु जैन नहीं लिखाते बल्कि जैन के स्थान पर अपना गोत्र आदि लिखाते हैं। जिससे सरकारी आंकड़ों में जैन बंधुओं की संख्या हकीकत से काफी कम अंकित है । आगामी जनगणना में हम सभी को धर्म व जाति के खाने में जैन अवश्य लिखना होगा ।
इंजीनियर भूपेंद्र जैन के मुताबिक बहुतायत संख्या में हमारे भाई बंधु अपने नाम के साथ जैन न लिखते हुए गोत्र आदि लिखते हैं। जोकि किसी भी दृष्टि से उचित नहीं हैं। हम अपने सम्मानित जैन समुदाय के सभी सदस्यों से विनम्रतापूर्वक और गर्व के साथ आग्रह करते हैं कि वे अपने नाम में “जैन” उपनाम जोड़ने पर विचार करें। यह केवल एक नाम नहीं, बल्कि हमारी एकता, शक्ति और सांझा विरासत का प्रतीक है।
आज के विविधतापूर्ण समाज में, जहाँ अन्य समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान और एकजुटता से सशक्त होते जा रहे हैं, वहीं हम जैन लोग उपजातियों में बटे होकर सशक्त नहीं हो पा रहे हैं । हमें सशक्तिकरण के लिए एक जुटता दिखानी होगी । “जैन” उपनाम को अपनाना हमें एकजुट होकर गर्व के साथ यह दर्शाने का अवसर देता है कि हम उस दर्शन के अनुयायी हैं जो अहिंसा, सत्य और करुणा पर आधारित है। यह हमारी एकता को प्रकट करता है । हमारे पूर्वजों को सम्मान देता है, और समाज में हमारी उपस्थिति को और सशक्त बनाता है।
हम सभी समाज बंधु एकता और पहचान के इस कदम में एकजुटता के साथ आंगे आएँ। “जैन” उपनाम को अपनाकर हम न केवल यह बताते हैं कि हम कौन हैं, बल्कि यह भी कि हम किन अमूल्य मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
धर्म जागृति मंच के राष्ट्रीय महामंत्री इंजीनियर भूपेंद्र जैन ग्रीनपार्क दिल्ली ने संस्था की ओर से जारी पत्र में सभी साधर्मी बंधुओं से अपने नाम और गोत्र के साथ जैन लिखने की अपील की है ।

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