जैन तीर्थ क्षेत्र श्रीज्ञानतीर्थ मुरैना की जीवन गाथा -एक परिचय

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आचार्यश्री ज्ञानसागर ने मुरैना को दी एक अनमोल कृति

(लेखक – मनोज जैन नायक, मुरैना)

मुरैना (मनोज जैन नायक) सराकों के राम, सराकाें के मसीहा, राष्ट्रसंत, शाकाहार प्रवर्तक, आचार्यश्री शांतिसागर छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य सराकोद्धारक जैन संत आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद से संस्कारधानी, धर्म नगरी मुरैना में ए.बी. रोड (धौलपुर आगरा हाइवे) मुरैना में एक अनुपम कृति श्री ज्ञानतीर्थ जैन क्षेत्र का निर्माण हुआ है ।
चम्बल की धरा यूं तो खूंखार डकैतों की बजह से काफी बदनाम रही है। लेकिन समय सबकुछ बदल देता है। मध्यप्रदेश के चम्बल अंचल में ऐतिहासिक सम्पदा का भंडार है। ककनमठ शिव मंदिर, बटेश्वर, मितावली, जैन मंदिर सिहोनियाँ, जैन मंदिर टिकटोली, करह वाले बाबा का मंदिर, घरोना हनुमान मंदिर, विश्व प्रसिद्ध शनि मंदिर जैसे पुरातत्व की धरोहर के साथ अनेकों सुप्रसिद्ध तीर्थ एवं मन्दिर इस चम्बल को धरती पर विद्यमान हैं। चम्बल के आंचल में नगर मुरैना समाया हुआ है। इसी पावन सरजमीं पर धर्म नगरी मुरैना में ही 01 मई 1957 को श्री शांतिलाल जैन (विचपुरी वाले) के घर माता श्रीमती अशर्फी देवी जैन की कोख से बालक उमेश का जन्म हुआ। बालक उमेश बचपन से ही आध्यात्म में रुचि रखते थे। उन्हें यह सांसारिक सुख घर में बांधकर नहीं रख पाया। बालक उमेश ने मात्र 17 साल की अल्पायु में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत लेकर संयम के मार्ग पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया और परम पूज्य मसोपवासी आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज से 05 नवम्बर 1976 में क्षुल्लक दीक्षा एवं 31 मार्च 1988 को श्री सिद्धक्षेत्र सोनागिर जी में मुनि दीक्षा ग्रहण की और मुनिश्री ज्ञानसागर महाराज के नाम से विश्व में सत्य, अहिंसा, शाकाहार, जीव दया का प्रचार प्रसार कर सम्पूर्ण विश्व में मुरैना का नाम रोशन किया । 30 जनवरी 1989 को सरधना (मेरठ) में आपको उपाध्याय एवं 27 मई 2013 को अतिशय क्षेत्र बड़ागांव (बागपत) में आचार्य एवं छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य पद से सुशोभित किया गया। पूज्य गुरुदेव भगवान महावीर निर्वाण दिवस 15 नवम्बर 2020 को अतिशय क्षेत्र बारां (कोटा) में समाधि को प्राप्तकर मोक्षगामी हो गए।
पूज्य गुरुदेव के अनन्य भक्त अनूप जैन भंडारी मुरैना द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार 26 जनवरी 2003 को दिगम्बर अवस्था में प्रथमबार मुरैना आगमन पर पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने इस तीर्थ की कल्पना की थी। उनकी कल्पना को साकार करने के लिए उनके भक्तों ने सन 2004 में लगभग 14 बीघा जमीन क्रय की। जमीन क्रय करने में श्रावक श्रेष्ठी स्व. श्री प्रेमचंद जी जैन (तेल वाले) मेरठ, श्री योगेश जी जैन (खतौली वाले) दिल्ली, श्री रवि जैन गाजियाबाद, श्री पंकज जैन मेरठ, श्री राकेश जैन “कैटर्स” (अम्बाह वाले) दिल्ली, प्रमोद जैन सरधना, विवेक जैन गाजियाबाद की मुख्य भूमिका रही । इस पुनीत कार्य में संपन्न कराने में स्थानीय समाजबंधु अनूप जैन भंडारी, शीलचंद जी बाबूजी, वीरेंद्र जैन (वरहाना वाले) मुरैना ने काफी मशक्कत की ।
ज्ञानतीर्थ पर जैन मंदिर के निर्माणकार्य का शुभारंभ लगभग 15 वर्ष पूर्व हुआ । मुख्य मंदिर की आधारशिला 10 दिसंबर 2010 को स्व.श्री प्रेमचंद जैन(तेल वाले) मेरठ एवं बोहरे श्री छोटेलाल जी जैन (मिरघान वाले) मंगलम ज्वेलर्स मुरैना के कर कमलों द्वारा रखी गई थी । समस्त गुरुभक्तों द्वारा लगभग 14 बीघा के विशाल प्रांगड़ में 55 फुट के कैलाश पर्वत की संरचना की गई है। इस पर्वत पर विराजमान की गई प्रतिमा कर्नाटक के विरदी गांव में गोमटेश्वर बाहुबली के भट्टारक श्री चारु कीर्ति जी की देखरेख में निर्माण हुआ था । 7 फुट की वेदिका पर 4 फुट ऊंचे कमल सिंहासन पर साढे तेरह फुट ऊंची जैन धर्म के प्रवर्तक, प्रथम तीर्थंकर श्री 1008 भगवान आदिनाथ की पद्मासन प्रतिमा 14 जुलाई 2016 में विराजमान की गई । प्रतिमा के पीछे सुंदर आकर्षक कल्पवृक्ष बनाया गया है। भगवान आदिनाथ की विशाल, भव्य एवं आकर्षक मूर्ति पूज्य गुरुदेव के परम भक्त दिल्ली निवासी श्री वकीलचन्द जैन ने प्रदान की थी । पर्वत के नीचे प्रथम तल पर जिनालय में भगवान आदिनाथ, भगवान मुनिसुव्रतनाथ, भगवान चन्द्रप्रभु, भगवान शांतिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीरस्वामी की प्रतिमाएं विराजमान हैं ।
प्रारम्भिक दौर में ज्ञानतीर्थ के निर्माण में स्व. श्री प्रेमचन्द जैन (तेल वाले) मेरठ, पंकज जैन मेरठ, रवि जैन गाजियाबाद, प्रमोद जैन बलबीर नगर, राकेश जैन (अंबाह वाले) दिल्ली के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी की समाधि के पश्चात निर्माण कार्य की गति को विराम सा लग गया था। तब गुरुभक्त सर्वश्री योगेश जैन (खतौली वाले) सूर्यनगर दिल्ली, आनन्द जी (खेकड़ा वाले), सतीश जी (प्रीति होजरी), राकेश जी आजाद नगर, आशीष जैन विकास नगर, विनेन्द्र जैन (जेडी), राजेश जैन (हलुआ वाले), महेशचंद ठेकेदार, ब्रह्मचारिणी बहिन अनिता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी एवं अन्य सभी गुरुभक्तों ने ज्ञानतीर्थ पर गुरुचरण स्थापित कर निर्माणकार्यों को गति प्रदान की।
ज्ञानतीर्थ पर आगन्तुक महानुभावों के आवास के लिए एक विशाल एवं भव्य तीन मंजिला अथिति गृह का निर्माण किया गया है। उक्त आवासीय भवन को ज्ञान गेह नाम दिया गया है। जिसमें सर्व सुविधायुक्त 34 कमरे बनाये गए हैं। मुनिराजों, साधु-साध्वियों की आहारचर्या एवं त्यागी व्रतीयों के भोजनादि हेतु विशाल एवं भव्य आहार शाला बनाई गई है, जिसे ज्ञान अहारं नाम दिया हुआ है। क्षेत्र पर प्रतिदिन दर्शनार्थ आने वाले बन्धुओं के लिए 5000 वर्गफुट में एक विशाल एवं भव्य भोजनशाला बनाई गई है, जिसमें 200 व्यक्ति एकसाथ बैठकर भोजन कर सकते हैं। उक्त भोजनशाला को ज्ञान पोषणम नाम से जाना जाएगा। क्षेत्र पर साधु-संतों के धर्मध्यान एवं विश्राम हेतु सन्त निवास का भी निर्माण हो चुका है । अभी पूज्य गुरुदेव ज्ञानसागर गुरु मन्दिर, श्री चंद्रप्रभु जिनालय, कीर्ति स्तम्भ एवं गौशाला का निर्माण प्रमुख रूप से होना शेष है । खाली जमीन पर भव्य बगीचे का निर्माण भी होगा, जिसमें सभी तरह के पुष्प एवं पौधे लगाएं जायेगे ।
पूज्य गुरुदेव सराकोद्धारक छाणी परम्परा के षष्ट पट्टाचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं आर्शीवाद से सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज ससंघ के सानिध्य एवं स्वस्तिधाम प्रणेत्री गुरुमां गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ससंघ के मुख्य निर्देशन में ज्ञानतीर्थ जैन मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा हेतु 01 फरवरी से 06 फरवरी 2023 तक श्री जिनविम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं महामस्तकाभिषेक महोत्सव प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार निशांत जी के आचार्यत्व में विशाल एवं भव्य आयोजन सानन्द हर्षोल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस आयोजन में पट्टाचार्य श्री विनीतसागर जी महाराज, गणिनी आर्यिका सर्वश्री लक्ष्मीभूषण माताजी, श्री सृष्टिभूषण माताजी, श्री आर्षमति माताजी सहित लगभग 50 साधू-संत सम्मिलित हुए। उक्त महोत्सव में देशभर से 50,000 से अधिक साधर्मी बन्धुओं ने सम्मिलित होकर गुरुभक्ति का परिचय दिया।
ज्ञानतीर्थ के विकास में दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, खतौली, बड़ौत, खेकड़ा, दिल्ली एनसीआर सहित सम्पूर्ण भारत वर्ष के गुरु भक्तों का योगदान रहा है।
पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी महाराज के स्वप्नों को साकार करने का संकल्प ज्ञानसागर भक्त परिवार ने लिया है । इसी तारतम्य में पूज्य आचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य एवं गणिनी आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी के निर्देशन में प्रतिष्ठाचार्य जयकुमार जी निशांत के आचार्यत्व में 21 फरवरी को ज्ञान गुरु मंदिर एवं श्री चंद्रप्रभु जिनालय की आधारशिला रखी गई और 06 मार्च 2025 को नवीन जिनालय की आधारशिला श्रीमती चंद्रकांता जैन, बृजेश जैन, राजेश जैन, यतीश जैन, मनोज जैन, पंकज जैन मेडिकल परिवार मुरैना एवं गुरु मंदिर की आधारशिला खैकड़ा वाले श्री आनन्द जैन, राहुल जैन, रजत जैन सूर्यनगर गाजियाबाद के कर कमलों द्वारा रखी जा रही है ।
ज्ञानतीर्थ की गाथा लिखते समय परम गुरुभक्त लाला गुलशनराय अनिल जैन (हलुआ वाले), राकेशकुमार मुकेश जैन (तेल वाले) मेरठ, पवन जैन (बसेड़ा वाले), इंद्रसेन जैन दिल्ली, मुकेश जैन बिटूमैंन आगरा, रूपेश जैन (चांदी वाले) आगरा, हंस जी जैन मेरठ, मनोज जैन दिल्ली, नरेशभूषण जैन, अनिल शाह ग्वालियर, जिनेश जैन अम्बाह, शांतिलाल जी (बिचपुरी वाले), भागचंद भंडारी एवं मनोज जैन बरेह मुरैना को नजरअंदाज करना नाइंसाफी होगी ।
ज्ञानतीर्थ की पावन धरा पर अभी तक आचार्यश्री विराग सागर जी, आचार्यश्री बर्धमान सागर जी, मुनि पुंगव सुधासागर जी, आचार्य श्री सुंदर सागर जी, आचार्यश्री विनीतसागर जी, आचार्य श्री वसुनंदी जी, आचार्य श्री विनिश्चय सागर जी, आचार्यश्री विमर्श सागर जी, आचार्यश्री बिहर्षसागर की, आचार्यश्री निर्भय सागर जी, आचार्यश्री विनम्र सागर जी, मुनिश्री प्रणम्यसागर जी, गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी, लक्ष्मीभूषण माताजी, सृष्टिभूषण माताजी, आर्षमति माताजी, पूर्णमति माताजी सहित सैकड़ों दिगम्बराचार्यों, आर्यिका माताजियों एवं साधु साध्वियों का पदार्पण हो चुका है ।

लेखक -मनोज जैन नायक, मुरैना

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