जैन संत विबोधसागर ने कहाकि संयम साधना के बिना मानव जीवन निरर्थक है
धूप दशमी पर महिलाओं ने किया उद्यापन
मुरैना (मनोज जैन नायक) पर्यूषण पर्व के आज छठवें दिन बड़े जैन मंदिर में जैन संत मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज ने उत्तम संयम धर्म के व्याख्यान के दौरान कहा कि आज संयम धर्म का दिन है । संयम नदी के दो तटों – बंधनों के रूप में समझो । जो नदी को अपने गंतव्य तक यानी समुद्र तक पहुंचाने में सहायक होतें हैं । यह तट पंच महाव्रत, पंच समितियां, पंच इन्द्रय विजय और तीन गुप्ति रूप होते हैं। यही जीवन रूपी गाडी के ब्रेक हैं। जैसे हाथी को अंकुश, घोड़े को लगाम और ऊट को नकेल होती है और यह सभी इससे वश में रहते हैं । स्पर्शन इंद्रिय के वशीभूत हो हाथी मनुष्य के वश में हो जाता है, रसना इंद्रिय के वशीभूत होकर मछली प्राण खो देती है, घ्राण इंद्रिय के वशीभूत हो भौंरा कमल सुंगध के लोभ में उसी में प्राण गवां देता है, चक्षु (नजर) के वशीभूत भूत पतंगा अग्नि में प्राण गवां देता है और कुर्ण (स्वर) के वशीभूत होकर सर्प मानव के वशीभूत हो पिटारे में कैद हो जाता है । अतः इंद्रियों और मन रूपी राजा को वश में करने हेतु, यह संयम रूपी तट आवश्यक हैं। ये इंद्रियां हमें बेबस करती है, इन्हीं इंद्रियों के वशीभूत होकर व्यक्ति जीवन में तमाम व्यसन और नशा करता है । जैसे गुटका, बीडी, सिगरेट, शराब, स्मेक का नशा करता है । इन व्यसनों में पढ़कर शरीर का नाश कर लेता है । जब शरीर ही नही रहेगा तब संयम रुपी व्रतों को कैस पालन कर पाओगे ।
महिलाओं ने की अपने सुहाग की मंगल कामना
आज सुगंध दशमी के दिन महिलाओं ने अपने सुहाग की मंगलकामना करते हुए पूजन भक्ति करते हुए व्रत रखा । सभी सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा एक दूसरे को सुहाग की सामग्री देकर एवं गुलाल लगाकर सभी को शुभकामनाएं दीं। आज नसियां जी जैन मंदिर में नीलम अनिल जैन कुथियाना, माया पंकज जैन आगरा, रश्मि दिलीप जैन गौसपुर, रजनी स्व.अरुण जैन बॉबी कुथियाना ने सुगंध दशमी व्रत का निष्ठापन किया ।
आज मनाया गया धूप दशमी दिवस
पर्यूषण पर्व के छठवें दिन धूप दशमी का पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया । जैन समाज के सभी बंधुओं, माता बहिनों ने आज नगर के सभी जिनालयों में पहुंचकर श्री जिनेंद्र प्रभु के दर्शन कर सुगंधित धूप को अग्नि में समर्पित किया । सभी ने अग्नि में धूप समर्पित करते हुए वीर प्रभु से अष्टकर्मों के नष्ट करने हेतु प्रार्थना की ।
पर्यूषण पर्वों का समापन 06 सितम्बर को होगा ।
जैन समाज के पर्यूषण पर्व 28 अगस्त को प्रारंभ हुए थे और इनका समापन 06 सितम्बर को अनंत चौदस को होगा । नगर में चातुर्मासरत मुनिराजश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में इन दस दिनों सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना का आयोजन चल रहा है । सभी लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार पूजा भक्ति, उपासना, आराधना करते हुए संयम की साधना का निरंतर अभ्यास कर रहे हैं। जैन समाज का शायद ही ऐसा कोई परिवार या व्यक्ति होगा जो उपासना नहीं कर रहा होगा ।