मुरैना (मनोज जैन नायक) भगवान महावीर स्वामी जी के निर्वाण के उपरांत भारत के बाहर श्रीलंका की धरती पर 2550 वर्ष बाद आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज के परम आज्ञानुवर्ती शिष्य क्षुल्लक श्री 105 प्रगुण सागर जी महाराज का वर्षायोग होने जा रहा हैं ।
समाजसेवी महेंद्र जैन भैयन ने प्रेस को दी जानकारी में बताया कि श्रीलंका में जैन धर्म के हजारों अनुयायी निवास करते हैं । जो व्यापार एवं नौकरी के सिलसिले में वहाँ बस गए हैं। इन सबकी बड़ी भावना थी कि श्रीलंका में जैन साधुओं का वर्षायोग संपन्न हो। लेकिन दिगंबर मुनि तो किसी प्रकार के वाहन का उपयोग नहीं करते । इसलिए परम पूज्य आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी महाराज, जो की नागालैंड में वर्षायोग कर रहे हैं ने अपने अज्ञानुवर्ती प्रिय शिष्य क्षुल्लक श्री 105 प्रगुणसागर जी महाराज को यह आज्ञा प्रदान की है कि आप श्री लंका जाकर वर्षायोग करें और जैन धर्म की प्रभावना का कार्य करें।
गुरू की आज्ञा के अनुसार क्षुल्लक श्री 105 प्रमुख सागर जी महाराज ने श्री लंका में वर्षायोग करने के लिए कल श्रावण कृष्ण पंचमी की शुभ मध्यान बेला में दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट से श्रीलंका की ओर प्रस्थान किया। क्षुल्लक श्री 105 प्रगुण सागर जी महाराज 28 जुलाई रविवार की पावन शुभ घड़ी में वर्षायोग की स्थापना करेंगे और फिर चार माह तक श्रीलंका में ही धर्म ध्यान करेंगे। चातुर्मास कलश स्थापना श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री दिगंबर जैन मन्दिर अहिंसा केंद्र तीर्थ कोटुगोडा में करेंगे। उनके साथ ब्र. श्री अशोक जी भी श्री लंका में ही चातुर्मास करेंगे।
दिल्ली एयरपोर्ट पर क्षुल्लक श्री 105 प्रगुण सागर जी को विदाई देने के लिए संस्थानम अभय दानम ग्रेटर नोयडा के निर्देशक CA गौरव जैन, श्री मती रजनी जैन, अभिषेक जैन, महेन्द्र जैन भैयन, विवेक जैन, संकल्प जैन, आकाश जैन, अक्षय जैन, संदीप जैन शास्त्री आदि उपिस्थित रहे जिन्होंने गुरूदेव जी को मंगल विदाई दी।
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