जैन पर्व विशुद्धि के लिए होते हैं, ये हमें जोड़ना सिखाते हैं : श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज
मुनिश्री बोले विकृतियों से परे हों पर्व
हाथ पैर धोकर, मन साफ करके मंदिर में प्रवेश करें : मुनिश्री
विद्वानों ने अनेक पर्वों पर प्रस्तुत किए महत्वपूर्ण शोधालेख
कोटा, राजस्थान। परम पूज्य श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज, मुनि श्री सहजसागर जी महाराज, मुनि श्री अप्रमित सागर जी महाराज, क्षुल्लक श्री श्रेयससागर जी के सान्निध्य में डॉ श्रेयांस कुमार जी जैन बड़ौत के निर्देशन व पंडित विनोद कुमारजी जैन रजवांस के संयोजन में ऋद्धि-सिद्धी नगर कोटा राजस्थान में 24 से 26 अगस्त 2024 तक जैन पर्व अनुशीलन राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का त्रिदिवसीय आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।
संगोष्ठी में तीन दिनों में छह सत्रों का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत, प्रोफेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी, डॉ शीतल चन्द्र जैन जयपुर, प्रोफेसर श्रीयांस सिंघई जयपुर, ब्र. धर्मेंद्र भैया छतरपुर, डॉ श्रेयांस कुमार जैन ने की तथा सत्र संचालन पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर,डॉ आशीष शास्त्री बम्होरी, डॉ अशीष आचार्य सागर, डॉ पंकज जैन इंदौर, पंडित विनोद कुमार जैन ने किया।
तीन दिनों में इस संगोष्ठी में डॉ श्रेयांस कुमार जैन बडौत, डॉ शीतल चंद्र जैन जयपुर, ब्र. जय कुमार निशांत टीकमगढ़, डॉ नरेंद्र कुमार जैन टीकमगढ़, प्रोफेसर श्रीयांस सिंघई जयपुर, प्रोफेसर अशोक कुमार जैन वाराणसी , पंडित विनोद कुमार जैन रजवांस, ब्र. विनोद भैया छतरपुर, डॉ ज्योति जैन खतौली, डॉ. ब्र. धर्मेंद्र भैया जयपुर, प्रोफेसर अनेकांत कुमार जैन दिल्ली, डॉ ज्योति बाबू जैन उदयपुर,डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर, डॉ पंकज जैन इंदौर, डॉ आशीष जैन आचार्य सागर, डॉ आशीष जैन शिक्षाचार्य दमोह, डॉ आशीष शास्त्री बम्होरी, डॉ बाहुबली जैन इंदौर, डॉ सोनल कुमार जैन दिल्ली,डॉ सुमत जैन उदयपुर, पंडित अंकित जैन मड़देवरा, पंडित वीरेंद्र जैन मारवाड़ा कोटा ने दसलक्षण महापर्व, अष्टान्हिका पर्व, अष्टमी चतुर्दशी पर्व , रक्षाबंधन पर्व, होली पर्व, दशहरा, महावीर जयंती, अक्षय तृतीया, चातुर्मास एवं पर्व की विशिष्टता आदि विषयों पर अपने शोधालेख प्रस्तुत किए। जिनमें अनेक तथ्य निकलकर आए, कई नई बातें, नई खोज सामने आईं।
सर्वश्रेष्ठ आलेख के लिए सम्मानित हुए डॉ. सुनील जैन संचय : त्रिदिवसीय संगोष्ठी में सर्वश्रेष्ठ आलेख प्रस्तुति के लिए डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर के नाम की घोषणा खुद मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज ने अपने मुखारविंद से की। इसके लिए डॉ सुनील संचय को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज ने अपने समीक्षात्मक प्रवचनों में कहा कि विद्वानों के बीच बैठकर आगम की चर्चा सुनना पुण्यात्मा जीव को ही प्राप्त होता है। ज्ञान के यज्ञ का पर्व है संगोष्ठी।
जैन पर्व विशुद्धि के लिए होते हैं भीड़ के लिए नहीं।जिनवाणी में किसी भी प्रकार की विकृति कतई स्वीकार नहीं।आज सुगन्ध दसमी चमक दशमी बन गई है। आज प्रत्येक मंदिर के बाहर यह लिखा होना चाहिए कि- हाथ पैर धोकर, मन साफ करके मंदिर में प्रवेश करें। जैन समाज को हर जगह अपने स्कूल खोलना चाहिए, इसी से हमारी संस्कृति सुरक्षित होगी। पर्वों में आज अनेक विकृतियां आ गयी हैं। आधुनिकता वास्तव में आध्यात्मिकता की घातक है।
आधुनिकता ने किया धर्म का नाश : मुनिश्री बोले
आधुनिकता ने धर्म का नाश कर दिया। अष्टान्हिका जैसा पर्व ढिक-चिक में समाप्त हो जाता है। चातुर्मास धर्म के उद्देश्य से होना चाहिए न कि धन संग्रह के लिए। दसलक्षण पर्व भी अनेक विकृतियों से घिरता जा रहा है, इससे बचना चाहिए।
पर्व का जैसा स्वरुप है वैसा मानना चाहिए। पर्व का अर्थ होता है जोड़ना। पर्वों में शुद्ध भोजन स्वयं करें और दूसरों को भी कराएं। श्रुत पंचमी श्रमणों की शिक्षा का पर्व है। पूर्वाचार्यों की संपत्ति का संरक्षण होना चाहिए। साधु वात्सल्य बनाए रखेंगे तभी श्रुत पंचमी पर्व की सार्थकता है। जो दूसरे के लिए लिखा जाय वह ग्रन्थि है जो स्वयं के लिए लिखा जाय वह ग्रंथ है।
साधुओं का एक सम्मेलन हो : मेरी भावना है कि एक ऐसा सम्मेलन हो जिसमें सभी साधु एक मंच पर हों। मिथ्यात्व से बचाने के लिए नया मिथ्यात्व न खड़ा किया जाय।
मुनिश्री ने इस संगोष्ठी की अपनी उपलब्धि बताते हुए कहा कि मैं पर्व रहस्य कृति प्राकृत भाषा में लिखूंगा और उसमें संगोष्ठी के आलेखों को कोड करूंगा।
इस मौके पर आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेंद्र जैन गोधा, महामंत्री पारस जैन बज एवं अन्य पदाधिकारियों ने सभी विद्वानों का तिलक, माला, साहित्य, स्मृति चिह्न आदि के द्वारा भावभीना सम्मान किया। शास्त्रि-परिषद के नव निर्वाचित सभी पदाधिकारियों व सदस्यों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद ग्रहण किया।
गणाचार्य विरागसागर जी विनयांजलि विशेषांक का हुआ विमोचन : इस मौके पर अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि-परिषद के ‘बुलेटिन’ के गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज विनयांजलि विशेषांक का विमोचन किया गया। विशेषांक का कुशल संपादन डॉ सुनील जैन संचय ललितपुर ने किया है।
विशेषांक परम पूज्य मुनि श्री आदित्यसागर जी महाराज की प्रेरणा एवं समर्पण समूह भारत के सौजन्य से प्रकाशित किया गया है।
विमोचन शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष डॉ श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत, महामंत्री ब्र. जयकुमार निशान्त टीकमगढ़, विद्वत् परिषद के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार जैन वाराणसी, डॉ. नरेन्द्र जैन टीकमगढ़ , पंडित विनोद जैन रजवांस, संपादक डॉ. सुनील जैन संचय, ललितपुर, डॉ धर्मेंद्र भैया जयपुर, ब्र. विनोद भैया छतरपुर, डॉ ज्योति जैन खतौली, डॉ सुमित जैन उदयपुर, डॉ आशीष जैन बम्होरी दमोह, पंडित अंकित जैन आदि ने किया।
विमोचन के बाद सर्वप्रथम एक-एक प्रति मंचासीन मुनिराजों को तथा इसके बाद उपस्थित विद्वानों आदि को भेंट की गयी।
जैन जगत के मूर्धन्य मनीषी डॉ. श्रेयांस कुमार जी जैन बड़ौत जिन्होंने श्रवणबेलगोला एवं यरनाल में राष्ट्रीय विद्वत् सम्मेलन , संगोष्ठियां आयोजित कर प्रभावना की थी यह संगोष्ठी भी उन्हीं के निर्देशन में हुई। कुशल संयोजन पंडित विनोद कुमार जी जैन का रहा।