जैन गजट पेपर घर-घर में पहुंचे
नैनवा रविवार 25 अगस्त
दिगंबर जैन बिसपथ शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग कर रहे जैन मुनि आचार्य चतुर्थ पटाधीश सुनील सागर महाराज के परम पावन शिष्य
मुनि 108 श्रुतेशसागर जी सागर महाराज
मुनि श्री108 सविज्ञ सागरजी महाराज छुल्लक 105 सुप्रकाश सागर जी महाराज
वर्षा योग समिति द्वारा मुनि श्री को जैन गजट पेपर की प्रितिया भेटकर आशीष प्राप्त किया
जैन मुनि सविज्ञसागर जी महाराज के
छठे रोज उपवास में धर्म सभा को बताया किस जैन गजट जैन धर्म का सबसे प्राचीन यह पेपर है जो 128 वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहा है समस्त दिगंबर जैन मुनियों के वर्षा योग के समाचार धर्म प्रभावना के समाचार प्रवचन अच्छी-अच्छी जैन बातें जैन गजट पेपर से प्रकाशित होते है आप सभी जैन बंधु इस पेपर को अपने घर घर पर मगाये और पढे और धर्म का ज्ञान प्राप्त करें
मुनि ने यह भी बताया कि इस पेपर को पढ़ने से छोटे-छोटे बालकों में बहुत ही धर्म की गाथाएं प्राप्त होती है
हर जैन परिवार के घर-घर में जैन गजट पहुंचे ऐसा मुनि ने अपने उद्बोधन में कहा
अहिंसा रथ दिल्ली होते हुए नैनवा पहुंचा
अहंकार से पतन होता है लाभ नहीं
मुनि सविज्ञसागर जी ने बताया
आज का मनुष्य अहंकार में इतना डूब गया कि उसे अच्छा बुरा का ज्ञान ही नहीं है दुनिया बहुत बड़ी है अहंकार व्यक्ति जीवन में सुखी नहीं है
स्वयं मिट सकता है पीट सकता है *लूट सकता है अहंकारी झुकता नहीं है यह उसका पतन का कारण है आदमी संसार में जाने के बाद धर्म वाले व्यक्ति को उसका नाम लेकर स्मरण करते हैं
तीनों लोकों में भगवान है उनका स्मरण करने से ही जीव सभी संकटों का निवारण होता है धर्म अच्छा पथ दिखलाता है परिवार जन एक छत के नीचे रखकर प्यार से रहे वात्सल्य से नहीं यही मुनि ने सच्चा सुख बताया
जिन घर परिवारों में वात्सल्य नहीं अहंकार है कभी साधु संतों के चरण नहीं पड़ते
अहकार से उत्थान नहीं पतन का मार्ग खोजना है अहंकार से बढ़कर कोई पाप नहीं दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं ऐसा मुनि ने बताया
मनुष्य को किया हुआ धर्म ही उसकी बैंक की एफडी है
जैन मुनि श्रुतेशसागर जी सागर महाराज ने धर्म सभा को बताया
संसार में जीव अकेला आया है सुख-दुख स्वयं कोई भोगना है धर्म धर्म करने पर ही उसे सुख-दुख की प्राप्ति होना बताया
मुनि ने यह भी बताया कि धर्मात्मा व्यक्ति धर्म सभा में आकर धर्म प्राप्त कर रहा है और सेठ है और दुकान खोलकर धन कमा रहे हैं जिनालय का धर्म बैंक की एक एचडी हो रही है दुकान का धन भोगों में समाप्त हो जाएगा लेकिन जिनालय का धर्म कभी समाप्त होने वाला नहीं है
मुनि महावीर कीर्ति महाराज 18 भाषाओं की ज्ञात से वह सभी जानवरों की बात जानते थे सुनते थे
आदिकाल से जीव स्वार्थ की अनादि काल से जीव लूट रहा है कभी पत्नी कभी पुत्र कभी पुत्री कभी पोत्र यह सब स्वार्थ के रिश्ते के कारण ही जीव को लूट रहे हैं
मनुष्य अपने लिए कुछ नहीं कर रहा आज जो भी कर रहा है वह दूसरों ही कर रहा है अपने स्वयं के कल्याण के लिए थोड़ा धर्म के लिए समय निकले
तभी जीव का कल्याण होगा
महावीर कुमार जैन सरावगी जैन गजट संवाददाता नैनवा जिला बूंदी राजस्थान