जैन गजट डडूका द्वारा अजीत कोठिया……चार्तुमास कलश स्थापना में बागीदौरा उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

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राजस्थान की मरुधरा पर रविवार को ऐतिहासिक पल दर्ज हुए। पहली बार मुनि विनम्रसागर ससंघ का पावन वर्षायोग बागीदौरा में हुआ। राउमावि खेल मैदान में चार्तुमास मंगल कलश स्थापना विधिवत की गई। हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ।

श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर से मुनि संघ को शोभायात्रा के साथ पांडाल लाया गया। कुंथु नवयुवक मंडल और महिला मंडल ने इसमें भाग लिया। मंच पर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने खड़े होकर गुरुदेव को नमन किया। जयघोष से माहौल भक्तिमय हो गया।

कार्यक्रम की शुरुआत संगीतकार राजेश शाह के मंगलाचरण से हुई। आचार्य विद्यासागर महाराज की चित्राकृति पर दीप प्रज्ज्वलन किया गया। मुख्य अतिथि महेंद्रजीतसिंह मालवीया और दशा हुमड़ जैन समाज के अध्यक्ष दिनेश खोड़निया का स्वागत उपरणा पहनाकर किया गया। स्वागत करने वालों में श्रीमंत बसंत सेठ, सेठ कन्हैयालाल दोसी, जयंतिलाल मेहता, विकास दोसी, अशोक मेहता, महेंद्र दोसी, दीपक दोसी और विकेश दोसी शामिल रहे।

आचार्य विद्यासागर मंगल कलश मोहित नगीनलाल दोसी ने स्थापित किया। आचार्य समयसागर कलश मेहता जिगर अशोक ने, दयोदय गोशाला कलश शाह हर्षित चंद्रपाल ने स्थापित किया। शास्त्र भेंट ललित मोतीलाल मेहता और लक्ष्मीलाल छबिलाल मेहता के परिवार ने दी।

नव जिनालय निर्माण में अर्थदान करने वाले 125 से अधिक पुण्यार्जक परिवारों का बहुमान किया गया। इनमें शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा दोसी बसंतलाल चंपालाल, पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विजेंद्र हीरालाल दोसी, मुनि सुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा दोसी पूनमचंद दोवाचंद, चंद्रप्रभु भगवान की प्रतिमा मेहता जीगर अशोक, आदिनाथ भगवान की प्रतिमा दोसी प्रतीक बसंतलाल और महावीर भगवान की प्रतिमा सुरेंद्र संजय शाह ने दी।

धर्मसभा में मुनि विनम्रसागर ने कहा कि बागीदौरा में इतिहास रचा जा रहा है। चार्तुमास और नवीन जिनालय में हर व्यक्ति की भूमिका होनी चाहिए। यह स्थापना पहला धमाका है, दूसरा धमाका पर्यूषण पर्व होगा। वर्षायोग के दौरान साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर साधना करते हैं। वर्षा ऋतु में असंख्य जीवों की उत्पत्ति होती है, इसलिए जैन साधु एक स्थान पर रहकर धर्म प्रभावना करते हैं।

दशा हुमड़ समाज के 72 गांवों सहित मध्यप्रदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचे। संचालन अनुराग जैन और विनोद दोसी ने किया।

प्रवचन के दौरान मुनि श्री भावुक हो गए। उन्होंने कहा, “काश आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज होते, तो यह देखकर कहते- विनम्र सागर, अपना पुण्य प्रबल करते चलो, धर्म प्रभावना करते चलो।” यह कहते हुए उनकी आंखों से अश्रुधारा बह निकली। संघस्थ मुनि, त्यागी व्रती बहनें, भैया जी और श्रद्धालु भी भावुक हो गए।

महिला मंडल ने गीत-नृत्य के माध्यम से आचार्य श्री के प्रकल्प ‘इंडिया नहीं भारत बोलो’ और ‘हिंदी मातृभाषा अपनाएं’ का संदेश दिया। पांडाल में मौजूद छह हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में 11 महिला मंडल ने आचार्य श्री विद्यासागर, आचार्य श्री समयसागर और मुनि श्री विनम्रसागर की अष्टद्रव्य से पूजन की। आचार्य श्री की जीवनचर्या पर आधारित नाटक प्रस्तुत किया गया। आर्यिका अंतरमति माताजी द्वारा लिखे गीत को संजय जैन इंदौर ने सुरों में प्रस्तुत किया। भाव भरे गीतों पर सभी की आंखें नम हो गईं।

2016 में बागीदौरा में हुए पहले चातुर्मास की डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। मुनि श्री विनम्रसागर ने बताया कि आचार्य श्री समयसागर महाराज ने भगवान शांतिनाथ के नवीन जिनालय के जो भाव किए थे, वे अब पूरे हो रहे हैं। बागीदौरा मात्र 11 दिन में सबसे ज्यादा जिनभक्त भामाशाह की श्रेणी में आ गया है। कुंथु नवयुवक मंडल के 220 सदस्यों ने श्रेष्ठ सेवाएं देकर राजस्थान का सबसे बड़ा जिन धर्म प्रभावना आयोजन सफल बनाया।

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