जैन धर्म में शोध को जन-जन तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य : अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज राजेश जैन दद्दू इंदौर

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जैन धर्म में शोध को जन-जन तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य : अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
राजेश जैन दद्दू
इंदौर
प्राकृत वाङ्मय के माध्यम से संस्कृति संरक्षण पर हुआ गहन चिंतन श्री दिगंबर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिन रविवार को विभिन्न सत्रों में जैन दर्शन, प्राकृत वाङ्मय एवं सिरि भूवलय के विविध आयामों पर गहन मंथन किया गया। धर्म समाज प्रचारक राजेश जैन दद्दू ने बताया कि
प्रथम सत्र का शुभारंभ अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के सान्निध्य में मंगलाचरण से हुआ। इस अवसर पर मुनि श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जैन धर्म में हो रहे शोध को जन-जन तक पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है। यदि धर्म-शोध से प्राप्त एक भी सूत्र जीवन में उतर जाए, तो जीवन सरल और सार्थक बन सकता है। सत्र में प्राकृत भाषा पर आधारित लघु नाटिका का मंचन भी किया गया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता कालिदास अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधेय ने की। सत्र में प्राकृत वाङ्मय की महत्ता, उसकी सांस्कृतिक भूमिका तथा संरक्षण की आवश्यकता पर विस्तार से विचार रखे गए।
रेखा जैन ने बताया कि इस सत्र में सिरि भूवलय में ‘ॐ’ का स्थान, भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में जैन अध्ययन, तथा प्राकृत वाङ्मय के दार्शनिक और वैज्ञानिक पक्ष जैसे विषयों पर विशद मीमांसा की गई। अतिथियों का सम्मान ट्रस्ट अध्यक्ष अमित कासलीवाल एवं पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
इस अवसर समाज के वरिष्ठ जन डॉ अनुपम जैन डॉ जैनेन्द्र जैन संजय पापड़ी वाल आदि उपस्थित हुए सत्र का संचालन डॉ. सरिता जैन दोसी ने किया।
द्वितीय सत्र में सिरि भूवलय के अलौकिक, गणितीय एवं आध्यात्मिक स्वरूप पर केंद्रित विषयों का प्रवर्तन किया गया। इस सत्र में ग्रंथ की रचनात्मक संरचना, सांकेतिक लिपि, आध्यात्मिक संकेतों तथा आधुनिक संदर्भों में उसकी उपयोगिता पर तथ्यात्मक विवेचन प्रस्तुत किया गया। सत्र के दौरान अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज का मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। संचालन डॉ. यतीश जैन ने किया।
समापन सत्र की अध्यक्षता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राकेश सिंघई ने की और प्रतिवेदन डॉ जयकुमार उपाध्याय ने पढ़ा । सिरि भुवलय ग्रन्थ का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया ।समापन सत्र में विद्वानों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविंद्र जैन ने किया। कार्यक्रम में अनेक समाज जन उपस्थित थे ।

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