जैन धर्म के सबसे बड़े तपस्वी भगवान महावीर के बाद तपस्या करने वाले तपस्वी मौन पूर्वक सिंहनिष्कडित

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बद्रीनाथ/कोडरमा – जैन धर्म के सबसे बड़े तपस्वी भगवान महावीर के बाद तपस्या करने वाले तपस्वी मौन पूर्वक सिंहनिष्कडित व्रत करने वाले विश्व के प्रथम जैन संत अन्तर्मना प्रातः स्मरणीय परम पूज्य आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महामुनिराज जो 21 जुलाई 2021 से 28 जनवरी 2023 तक करने वाले 496 दिनों का उपवास और 61 दिन आहार ग्रहण करने वाले अन्तर्मना गुरुदेव प्रसन्न सागर जी महामुनिराज ने सम्मेदशिखर जी के पर्वत पर तपस्या किया इसके बाद तीर्थराज सम्मेदशिखर जी से मंगल विहार कर 2 वर्षो में लगभग 6000 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुवे कुंजवन महाराष्ट,श्रवणबेलगोला होते हुवे हैदराबाद में भब्य चातुर्मास कर महाराष्ट,छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तरप्रदेश नैनीताल होते हुवे अष्टापद की ओर बिहार हो रहा है गुरुदेव सत्संग चमोली होते हुए अभी आगे बढ़ रहे हैं और संभावित मई के प्रथम सप्ताह में बद्रीनाथ के दरवाजा जो 6 माह से बंद था वह आचार्य श्री के द्वारा खोला जाएगा ।इस अवसर पर अन्तर्मना के परम प्रभावक शिष्य उपाध्याय सौम्य मूर्ति मुनि श्री 108 पीयूष सागर जी मुनिराज ने कहा कि गुरुदेव
अंतर्मना गुरुदेव 108 श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ससंघ का विहार बद्रीनाथ अष्टापद धाम की और हो रहा है.माना जाता है कि भारत में बद्रीनाथ यात्रा चंद सर्वश्रेष्ठ पहाड़ियों में से एक.. जहां कार, ट्रक, यहां तक कि हेलीकॉप्टर भी चढ़ने में दम भरने लगता है.. जब की वो सब तेल (ईंधन) से चलते है..
लेकिन अंतर्मना गुरुदेव अपने दम पर चलते हैं। ऐसी विशाल ऊंची पहाड़ियों पर अंतर्मना गुरुदेव एवं संघ रोज 20 से 25 किलोमीटर हंसते हुए पैदल यात्रा कर रहे है. यात्रा होती भी है तो सीधे रास्तों से
पर अंतर्मना गुरुदेव कठिन रास्तों से, पगडंडियों से, पथरीली जमीन पर संकरे रास्तों से अपने संघ और अपने भक्तो के साथ यात्रा को पूरा कर रहे हैं
पूरे संघ के साधु दिन में एक बार ही आहार ग्रहण करते है..
पर तपस्या के शिरोमणि अंतर्मना गुरुदेव सिर्फ एक आहार एक उपवास कर रहे है (दो दिन मैं एक बार आहार) फिर भी इस ऊर्जा के साथ सारी पहाड़िया, सारे पर्वत, सारी नदियो को पार करते हुए, हंसते हंसते पैदल चल रहे हैं
इन सब के बीच अगर अष्टमी या चतुर्दशी आ गई तो गुरुदेव के 2 उपवास भी हो रहे है।
इन सब के बावजूद भी गुरुदेव की रोज दोपहर की सामयिक कड़ी धूप में बैठ कर निरंतर चल रही है.ऐसे पहाड़ी मौसम से अनभिज्ञ हालत में भी गुरुदेव सुबह की चार बजे से शाम की भक्ति तक सारी चर्या मै कोई समझौता नहीं है
ऐसे कई आश्चर्य बातों का जीता जागता उदाहरण है..सिर्फ और सिर्फ एक.है..
साधना महोदधी अंतर्मना आचार्य गुरुदेव श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज जो आज इस धरती पर जैन धर्म के किसी साधु के बस का नहीं..इतने आश्चर्यों से भरे हुए सागर को नित नित नमन वंदन करते है. ये हमारा सौभाग्य है कि हम इस जन्म में पैदा हुए और इनके दर्शन कर रहे है..
इसलिए शुरू से कह रहे है।तपस्या के शिरोमणि अंतर्मना गुरुदेव आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज… यानी आज के इस युग के साधना के गोमटेश्वर`है।इस अवसर पर अन्तर्मना भक्त मनोज जैन हैदराबाद, विवेक जैन गंगवाल, कोलकोत्ता,मनीष जैन सेठी,सिमा जैन सेठी, राज कुमार जैन अजमेरा ने गुरुवर के चरणों मे कोटि कोटि नमोस्तु प्रेषित किया।कोडरमा मीडिया प्रभारी राज कुमार जैन अजमेरा,

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