जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ही जैन धर्म के प्रर्वतक माने जाते हैं

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सामूहिक जिनेन्द्र आराधना संस्था फेडरेशन के तत्वावधान में जैन धर्म और जैन समुदाय की प्रभावना की पंजीकृत विश्व व्यापी संस्था सामूहिक जिनेंद्र आराधना संस्था फेडरेशन की और से जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ जी के जन्म कल्याणक महोत्सव के पावन अवसर पर आदिनाथ जयंती के पहले दिन विश्व जैन ध्वज दिवस मनाया जाता है। इस दिन सभी साधर्मी बंधु विश्व जैन ध्वज दिवस पर जैन घरों, सभी संस्थाओं के भवन और प्रतिष्ठानों पर जैन ध्वज लगाए,फेडरेशन के अध्यक्ष राकेश गोधा, महामंत्री धीरज पाटनी और कोषाध्यक्ष संजय काला के अनुसार गत कई वर्षों से सामूहिक जिनेन्द्र आराधना संस्था के आह्वान पर जैन धर्म भगवान आदिनाथ के जन्म कल्याणक के पहले दिन विश्व जैन ध्वज धर्मावलम्बी अपने जिन मन्दिरों, जैन धर्मशाला, जैन भवन, जैन शिक्षण संस्थानों के विश्व जैन प्रभावना दिवस भवनों पर और अपने-अपने निवास स्थान पर आओ और जैन धर्म का प्रचार करें। भगवान आदिनाथ की जयंती पर सामूहिक रूप से जयकारे के साथ जैन ध्वज लगाकर विश्व जैन ध्वज दिवस मनाते हैं तथा जैन ध्वज लगाकर सत्य, अहिंसा और भाईचारे को जीवन में अंगीकार करने की भावना भाते हैं, भगवान आदिनाथ की जयंती 3 अप्रैल 2024 को आदिनाथ भगवान के जयकारे के साथ विश्व जैन प्रभावना दिवस मनाते है। सर्वविदित है कि भगवान आदिनाथ ही जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर है। उन्होंने मानव को असि-मसि-कृषि से अवगत कराया था। उन्होंने मानव कल्याण के साथ जीवन को कर्म प्रधान मानते हुए शालीनता से जीने का संदेश दिया है,इस दिन जैन धर्मावलंबी जैन धर्म का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस दिन विश्व सर्व समाज को यह बताने का प्रयास किया जाता है की जैन धर्म महावीर के समय यानी 2550 वर्ष पूर्व से नहीं है बल्कि अनाधिकाल से है अनन्त है तथा वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर है। फैडरेशन के महामंत्री धीरज पाटनी ने अवगत कराया कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ही जैन धर्म के प्रवर्तक माने जाते हैं, वे अवसर्पिणी काल के प्रथम दिगंबर मुनि थे , उन्हीं के द्वारा खेती करना सिखलाया गया,उन्हीं के समय से अक्षर एवं गिनती ज्ञान का प्रारंभ हुआ था भगवान आदिनाथ का जन्म 84 लाख वर्ष पूर्व का है।

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

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