जैन धर्म के पावन पुनीत पर्व दसलक्षण महापर्व जो उत्तम क्षमा के दिन से शुरु होकर अंतिम दिन क्षमावाणी पर शेष होता है।
जैन धर्म अहिंसात्मक सीधान्त को पूर्ण रूप से अपनाना जानते है, हिंसा चाहे मन वचन, तथा काय के द्वारा किसी को ठेस पहुंचाना हो या मन दुखाया हो तो उसे भी हिंसा मानता है।
क्षमावाणी एक पावन अवसर हम सभी के लिए आत्मशुद्धि, मंगल चिंतन का संदेश लेकर आता है, पर्व मात्र एक परम्परा हि नही बल्कि हृदय की गहराइयो से मैत्रिभाव जगाने का दिव्य अवसर है।
आज श्री महावीर स्थल, फैंसी बाजार, गुवाहाटी मे आयोजित उत्सव के दौरान रतंत्रए की माल (माला) पाने का सौभाग्य श्री अशोक – नीलम देवी छाबड़ा ने अपने पौत्र निश्चय सुपुत्र श्री नितेश – पूर्णिमा छाबड़ा जैन आठगांव निवासी ने प्राप्त कर बच्चों में धर्म, अहिंसा, क्षमा का संस्कार रूप मे बीजारोपड़ करते हुए अपने आप को धन्य किया।
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