जैन धर्म के पंच तत्वों की आधार शिला भगवान महावीर

0
150

गणिनी आर्यिका
विज्ञाश्री माताजी

अरिहंत की बोली सिद्धों का सार
आचार्यों का पथ , साधुओं का साथ
अहिंसा का प्रचार , यही है महावीर का सार

फागी संवाददाता

हम महावीर जयन्ती क्यों मनाते हैं ? हम भगवान महावीर को याद क्यों करते है ? ऐसा क्या दिया उन्होंने हमें ? क्योंकि यह स्वार्थी जगत बिना प्रयोजन तो किसी को याद करता ही नहीं है।उन्होंने हमें कुछ ऐसे सिद्धान्त दिये थे, ऐसा मार्ग बताया था, जिस पर चलकर हम सुख शान्ति प्राप्त कर सकते हैं।भगवान महावीर ने आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु पाँच सिद्धांत हमें बताए: सत्य, अहिंसा, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह। अहिंसा धर्म का प्रथम द्वार है और सौहार्द का महोत्सव है। हिंसा कभी धर्म नहीं हो सकती भले ही किसी देवी देवता के नाम से क्यों न की गई। भगवान महावीर की पहचान अहिंसा से है और विश्व का भविष्य अहिंसा है। आज हिंसा और आंतकवाद से घिरी दुनिया में अमन चैन लाने के लिए अहिंसक शक्तियों को आगे आना पड़ेगा। वर्तमान अशांत, आतंकी, भ्रष्ट और हिंसक वातावरण में महावीर की अहिंसा ही शांति प्रदान कर सकती है। महावीर की अहिंसा केवल सीधे वध को ही हिंसा नहीं मानती है, अपितु मन में किसी के प्रति विचार भी हिंसा है। जब मानव का मन ही साफ नहीं होगा तो अहिंसा को स्थान ही कहाँ ?विश्व में आज हमारे परिणामों में हिंसक प्रवृत्तियां रग रग में समा गई है। करुणा का स्थान क्रूरता ने ले लिया है, नाग चम्पा का स्थान नागफणी ने ले लिया है। वीर की आज हिंसा और परिग्रहत महामारी में घिरी दुनियां में अमन चैन (शांति) लाने के लिये अहिंसक और अपरिग्रह रूपी शक्तियों को आगे लाना होगा । कुछ न होगा रोने से, हाय- हाय चिल्लाने से। कुछ न होगा हत्यारों को गंदी गाली सुनाने से, हमें उठना होगा हिंसा, परिग्रह रुकवाने को। गांव-2 में जाना होगा, वीर वाणी सुनाने को। अहिंसा का झण्डा थामने वाले लोग यह न समझे कि हम दुनियां की आबादी में मुट्ठी भर है तो क्या कर सकते हैं। थोडी सी हिम्मत और ईमानदारी से दुनियाँ को स्वर्ग में बदला जा सकता है। छोटी सी ज्वाला चिंगारी ज्वाला बन सकती है। दुनियां में खून-खराबा बहुत हो चुका अब अहिंसक शक्तियाँ इसे आजादी दिलाने आयी है। क्योंकि अहिंसा हमारे जीवन की शान है, जीवन की प्रतिष्ठा है। जिस प्रकार भारत में गंगा का महत्व है उसी प्रकार जीवन में अहिंसा का महत्व है। जिस दिन भारत से गंगा उठ जायेगी उस दिन भारत नंगा और भिखमंगा हो जाएगा। उसी प्रकार जीवन में अहिंसा उठ जायेगी तो हमारा जीवन भी नंगा और भिखमंगा हो जायेगा। जीवन शैली से समस्याओं का समाधान-कोरोना काल में आत्मबल की उपयोगिता को हम सबने जाना है। भगवान महावीर ने तन-मन की शुद्धि तथा आत्मबल बढ़ाने हेतु साधना एवं संयम-तप पर बल दिया। आज के भौतिकवादी युग में जहाँ खान-पान की अशुद्धता एवं अनियमितता है और जीवन तनावयुक्त है, भगवान महावीर द्वारा बताई गई जीवन शैली ही समस्याओं का समाधान है। भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की साधना इसलिए जरूरी है कि हम सुखी रहें और पास-पडोस को सुखी रखें। अगर आज पूरे विश्व में महावीर के पंच सिद्धांत अपना लिए जाय तो पूरे विश्व में अन्याय, अनीति, अत्याचार, भष्ट्राचार, आतंकवाद, अराजकता, महामारिया, हिंसा, चोरी आदि विकृतियां समाप्त हो सकती हैं।भगवान महावीर ने जैन धर्म को नई दिशा दी। महावीर का साहित्य हो या श्लोक , पत्थर पर खुदे आलेख हो या चित्रित मुद्राएं, पवित्र मंत्र हो या भावपूर्ण भजन , मानव विकास एवं कल्याण में सदैव पथ प्रदर्शक रहेंगे। भगवान महावीर ने अहिंसा और पृथ्वी के सभी जीवों पर दया रखने का संदेश दिया। “जियो और जीने दो’ जैन धर्म का मूल मंत्र है।इस एक मंत्र से विश्व के सभी समस्याओं का निराकरण कर सकता है और सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक भेदभावों से मुक्ति मिल सकती है।वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाये तो भी माँसाहार शरीर एवं मन दोनों के लिए प्राण घातक है और मनुष्यों में हिंसक प्रवृत्ति को जन्म देता है। उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय रोग जैसी गम्भीर बीमारियाँ विकसित होती हैं।
भगवान महावीर ने तन-मन की शुद्धि तथा आत्म बल बढ़ाने हेतु, साधना एवं तपश्चर्या पर बल दिया। आज भौतिकवादी युग में जहाँ खान-पान की अशुद्धता एवं अनियमितता और जीवन तनावयुक्त है, भगवान महावीर द्वारा बताई गई तप, आग एवं साधनामय जीवन शैली ही समस्याओं का समाधान है। भगवान महावीर के सिद्धान्त, न केवल सामाजिक, आत्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में, वरन् राजनैतिक क्षेत्र में भी सार्थक एवं प्रासंगिक है। भगवान महावीर का अहिंसा का दिव्य संदेश, स्वार्थ प्रवृत्ति एवं संकीर्ण मनोवृत्ति को विराम दे, चुनावी हिंसा और आतंक के तांडव नृत्य को रोक सकती हैं।
भगवान महावीर के सिद्धांत किसी विशिष्ट समाज , विशेष समय या परिस्थिति के लिए नहीं , वरन सार्वभौमिक थे ।
भगवती अहिंसा भगवान महावीर की साधना की चरम सीमा है।

राजाबाबू गोधा जैन गजट संवाददाता राजस्थान

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here