जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर श्री महावीर स्वामी अहिंसा, प्रेम और तपस्या के प्रतीक थे। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था। महावीर स्वामी का जन्म बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर हुआ था। बचपन में महावीर स्वामी का नाम वर्धमान था। भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए हैं, जिससे समृद्ध जीवन और शांति की प्राप्ति हो सकती है। यह सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।
महावीर का जन्म जीवदया का परिचायक है तो जीवन तप, त्याग के संस्कारों की शिक्षा देता है। तपस्या से आत्मा पवित्र होती है। तीर्थंकर परमात्मा ऐसी आत्मा है जो सिर्फ विश्व कल्याण के लिए जन्म लेते हैं। वे सभी के लिए होते हैं, जीव मात्र के प्रति करूणा दया का भाव तीर्थंकरों के आलम्बन से प्रकट होता है।
भगवन महावीर के सिद्धांतो की पालना करते हुए श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन नवयुवक मंडल ब्यावर द्वारा श्री 1008 भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष में जीव दया का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मण्डल के मंडल के प्रचार मंत्री श्रेणिक छाबड़ा ने बताया कि जीव दया कार्यक्रम के तहत मंगलवार को अजमेर रोड स्थित श्री वंदे मातरम गो शाला चेरिटेबल ट्रस्ट में उपचाररत पशुओं को मेडिकल किट और चारा उपलब्ध कराया गया।
कार्यक्रम में मंडल अध्यक्ष जम्बू कासलीवाल, मंत्री सुधीर पाटनी, उपाध्यक्ष टीकम कासलीवाल, कोषाध्यक्ष अभिषेक पाटनी, सहमंत्री सनत कासलीवाल, सांस्कृतिक मंत्री पीयूष कासलीवाल सहित रौनक कासलीवाल, धर्मी चंद पाटनी, संदीप जैन, संजय बडजात्या, नितिन छाबड़ा, निकिन कासलीवाल, दीपांशु पहाड़िया, रोनित कासलीवाल, मनन कासलीवाल, राहुल पाटनी, आनंद जी गंगवाल और मंडल के सभी सदस्य महिला वर्ग एवं बच्चे मौजूद रहे।