जहां मोह है वह संसार है, जहां मोह समाप्त हुआ वहां से ही मोक्ष प्रारंभ हो जाता हैं : आचार्य प्रमुख सागर

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गुवाहाटी : फैंसी बाजार स्थित आदिनाथ नगर (जेल परिसर) में असम के राज्यकिय अतिथि आचार्य श्री प्रमुख सागर महाराज ससंघ एवं मुनि श्री अरिजीत सागर महाराज के पावन सान्निध्य में श्रीमद् 1008 जिनबिंब पंच- कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव मे बुधवार को मोक्ष कल्याणक महोत्सव मनाया गया। दिन में मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं संपन्न हुई। वही पंचकल्याणक महोत्सव कि सभी क्रियाएं प्रतिष्ठाचार्य बा. ब्र.हंसमुख शास्त्री के निर्देशन में विधि विधान से संपन्न कराई गई। इस अवसर पर आचार्य प्रमुख सागर महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मोक्ष कल्याण की महत्वता के बारे में बतलाते हुए कहा कि आज मोक्ष कल्याणक के दिन तीर्थंकर भगवान संपूर्णता इस संसार से विदाई ले लेंगे, अब दोबारा इस संसार में नहीं आएंगे। अब वो अपने साक्षातधाम में ही विराजमान होंगे। उन्होंने कहा कि संसार में रहकर ही संसार को तर्ज सकते हैं और आज वह पाषण जो प्रथम दिन मूर्ति थी आज वह भगवान के रूप में परिवर्तित हो गई है तथा हमेशा के लिए पूज्यता को प्राप्त हो गई। आचार्य श्री ने कहा कि जहां-जहां मोह है वह संसार है, जहां मोह समाप्त हुआ वहा से ही मोक्ष प्रारंभ हो जाता है। हमें उनके मोक्ष कल्याणक की अनुमोदना करके पुण्य बढ़ाना चाहिए। इस अवसर पर अग्नि- देव द्वारा संस्कार विधि, मोक्ष कल्याणक पूजा, हवन, व पूर्णाहुति के पश्चात पंच- कल्याणक महोत्सव के सभी सक्रिय सहयोग देने वाले कार्यकर्ता व जयपुर से पधारे नि:स्वार्थ भाव से सेवा करने वाले वीर सेवक के सदस्यों आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक ओम प्रकाश सेठी ने बताया समाज के कई विभूतियो को मरणोपरांत समाज रत्न पुरस्कार व कई विशिष्ट व्यक्तियों को समाज गौरव से सम्मानित किया गया। प्रचार प्रसार के सहसंयोजक सुनील कुमार सेठी ने बताया कि कार्यक्रम का समापन भगवान आदिनाथ की शोभायात्रा व कलसाभीषेक के साथ हुआ।

सुनील कुमार सेठी
पंचकल्याण प्रचार प्रसार विभाग

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