जहां सयोग है वहां वियोग निश्चित है

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जहां सयोग है वहां वियोग निश्चित है
जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज
23 जुलाई बुधवार 2025
शांति वीर धर्म स्थल पर णमोकार मंत्र के दसवें रोज जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज ने बताया कि आज मनुष्य बिना नशे किए हुए अपने आप को भूल रहा है अपनी स्वयं की आत्मा को भूल सा गया है
मनुष्य से शादी के पहले पाप कम होते थे शादी के बाद मनुष्य अपनी पत्नी को ही सब कुछ मान रहा है उससे अच्छा बुरा कर्म का विवेक ही समाप्त हो गया इस कारण शादी के बाद मनुष्य भोग क्रिया में ज्यादा उलझ रहा है यही उसकी उलझन का कारण बना हुआ है सयोग का दूसरा नाम ही वियोग मुनि ने बताया
इस धरती पर जिसका जन्म हुआ है उसका मरण निश्चित है जब परिवार में नए मेहमान का जन्म होता है तब बहुत खुशियां मनाते हैं बड़ी-बड़ी पार्टी उत्सव करते हैं जब जीव संसार से असमय चला जाता है तब इतना दुख होता है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाता यही संसार की क्रिया है
मुनि ने यह भी बताया कि मनुष्य की जिंदगी एक मेहमान की तरह है कब मेहमान आता है कब चला जाता है ठीक उसी प्रकार आज मनुष्य की जिंदगी ऐसी हो गई मौत किसी भी समय दस्तक देकर अपने साथ लेकर चली जाती है परिवारजन हाथ मलते ही रह जाते हैं उससे कोई बचाने वाला नहीं रहता
आज का मनुष्य अपनी पत्नी से इतना प्यार करता है उसकी हर आकांक्षा पूरी करने में अपनी पूरी जिंदगी बिता रहा है फिर भी उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही वहीं पति पत्नी के अंतिम समय में केवल मात्र अपनी चौखट से विदा कर देती है
उसके आगे तक का भी उसका साथ नहीं रहता
इतना ही रिश्ता पति-पत्नी के साथ था मनुष्य जितना राग पत्नी से कर रहा है वैसा राग ईश्वर के चरणों में बैठकर प्रभु भक्ति में कर लेता तो इस संसार से मुक्ति का मार्ग से मिल जाता भक्त की सबसे बड़ी सुंदरता मुनि ने भगवान की भक्ती को बताया
भगवान के दीप प्रज्वलित करने का सौभाग्य मोहनलाल कमल कुमार मनीष रवि जौनी पम्मी मारवाड़ा परिवार ने यह सौभाग्य प्राप्त किया समिति द्वारा सभी परिवार जनों का तिलक माला पगड़ी दुपट्टा पहनाकर स्वागत सम्मान किया
गुरु की आज्ञा नहीं मानना गुरु का तिरस्कार करना है
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया कि संसार के अंधेरे से प्रकाश में ले जाने वाले गुरु ही हैं
गुरु जो बोलते हैं उन्हें ग्रहण करना चाहिए जो काम योग्य नहीं है उसे छोड़ना चाहिए जो मनुष्य गुरु की आज्ञा नहीं मानता पर संसार में भटकने का मार्ग खोज रहा है गुरु का तिरस्कार करके मनुष्य अच्छा कार्य नहीं कर रहा
संतो के वचनों को टीवी दूरदर्शन पर इसलिए दिखाया जाता है कि लोग उनको सुनकर अच्छी-अच्छी बातें गुरु द्वारा बताई गई अपने जीवन में उतरे अज्ञानता का मार्ग छोड़कर ज्ञान का मार्ग चलने का प्रयास करें

मुनि ने यह भी बताया कि मंदिर के बाहर हजारों भिखारी बैठे रहते हैं
वह भिखारी कुछ प्राप्त करने के लिए ही मंदिर के बाद इकट्ठे रहते हैं उन्हें वहां पर कुछ न कुछ भिक्षा में जरूर मिलता है इस कारण ही भिखारी मंदिर के बाहर कुछ ना मिले तो वह आना ही बंद कर देंगे
गुरु तो ज्ञान देकर इस महासागर संसार से अपनी उंगली पड़कर उसे भक्त को उसे पार कर देते हैं
वही मार्ग मुक्ति का मार्ग होता है
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री

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