जहाँ पेड़ और पानी हो..

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वहाँ हरियाली अपने आप आ आती है..!     अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज  औरंगाबाद  /कुलचारम.                                 पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा.                                   भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार
कुलचाराम हैदराबाद की और अहिंसा संस्कार पदयात्रा      चल रहा है  विहार  के दौरान   को प्रवचन       जहाँ पेड़ और पानी हो..
वहाँ हरियाली अपने आप आ आती है..!
जीवन भी ऐसा ही है। जहाँ मन की शान्ति, चेहरे की प्रसन्नता और हृदय की पवित्रता हो, वहाँ जीवन में अपने आप शान्ति आ जाती है। इसलिये जीने का एक पवित्र उद्देश्य होना चाहिए। जीवन की एक मंजिल व लक्ष्य होना चाहिए। तभी जिन्दगी के कोई मायने हैं। अभी तो तुम्हारी स्थिति है — कि सोमवार को जन्म लिया, मंगलवार को बड़े हुए, बुधवार को शादी की, गुरुवार को बच्चे हुए, शुक्रवार को बीमार पड़े, शनिवार को अस्पताल में दाखिल हुए और रविवार को चल बसे। बस यही तुम्हारी जिन्दगी का एक चित्र है। पर ध्यान रखना, यह जिंदगी का विकृत और सबसे ज्यादा अभद्र चित्र है। इस चित्र में कोई ख़ूबसूरती नहीं है। ज़िन्दगी के चित्र में चरित्र की खूबसूरती आना चाहिए।
फूलों का सार इत्र है, और जीवन का सार चरित्र है। जिसने इत्र बटोर लिया उसने ज्ञान पा लिया, और जिसने चरित्र बटोर लिया उसने भेद विज्ञान पा लिया। पैदा हुए और वैसे ही मर गए तो दुनिया में आने का औचित्य ही क्या हुआ-? जिंदगी में धर्म ध्यान की किरण होनी चाहिए, मैत्री प्रेम और सद्भाव के फूल तथा परमात्मा एवं सत्य के फल जीवन के वृक्ष पर आना चाहिए। क्योंकि  पौ- जन्म है, प्रभात- बचपन, दोपहर- जवानी, शाम- बुढ़ापा और रात- मृत्यु है। रात जीवन की कहानी का उपसंहार है, विराम है, पटाक्षेप है…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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