जेएसी ने जैन संस्कृत विद्यालय में मनाई मकरसंक्रांति
बच्चों को भोजन कराकर दिए उपहार
मुरैना (मनोज जैन नायक) महिलाओं के स्वयंसेवी संगठन जेएसी मुरैना जागृति की मेम्बर्स ने मकर संक्रांति का त्यौहार जैन संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के बीच मनाया। इस दौरान महिलाओं ने मोटिवेशनल स्पीच के माध्यम से उनके पर्सनालिटी डेवलपमेंट को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास किया।
संस्कृत विद्यालय के छात्रावास में रहने वाले बच्चों से जेएसी मेम्बर नीतू भोला ने बच्चों से पूछा कि वे 30 सेकंड में कितनी बार ताली बजा सकते हैं। जवाब में सभी बच्चों ने अलग-अलग संख्या बताई। जब उनसे ताली बजाने को कहा गया तो लगभग सभी बच्चों ने बताई गई संख्या से अधिक बार ताली बजाई। तब उन्होंने कहा कि असल में हम लोग अपनी क्षमताओं को नहीं पहचानते। हमें खुद पर आत्मविश्वास हो और अपनी क्षमता पर भरोसा, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। जेएसी की सचिव भारती मोदी ने बच्चों से कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें यहां ज्ञान अर्जित करने के लिए आश्रम में भेजा है उनके विश्वास पर खरा उतरना आपका कर्तव्य है। अनीता गर्ग ने बच्चों से उनका हाल-चाल और उनकी जरूरतों के बारे में पूछा। अंत में जेएसी मुरैना जागृति की अध्यक्ष भावना जैन ने भी सभी बच्चों के साथ जीवन में काम आने वाली बातें साझा कीं। उन्होंने बच्चों से पूछा कि वे भविष्य के क्या बनना चाहते हैं। इस पर किसी ने आर्मी ऑफिसर बनने की इच्छा जताई तो किसी ने डॉक्टर बनकर सेवा करने की बात कही। अंत में महिलाओं ने बच्चों को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर संगठन की ज्योति मोदी, सरिता गर्ग, ललिता गोयल, कंचन चावला आदि मौजूद रहीं।
साथ में किया भोजन, उपहार भी दिए
जेएसी मुरैना जागृति की सदस्यों ने संस्कृत विद्यालय के बच्चों के साथ लगभग 2 घंटे व्यतीत किये। महिलाओं ने उनके लिए भोजन का इंतजाम भी किया था। मोटिवेशनल स्पीच के बाद संगठन की सदस्यों ने सभी बच्चों को अपने हाथों से भोजन परोसा और खुद भी उन्हीं के साथ खाना खाया। संगठन की सदस्यों ने सभी बच्चों को पढ़ाई-लिखाई में काम आने वाली चीजों सहित अन्य प्रकार के उपहार भी दिए। जेएसी मेंबर्स के आत्मीय व्यवहार से आश्रम में रहने वाले बच्चों के चेहरों पर प्रसन्नता के भाव झलक रहे थे।
विद्यालय के आचार्य का सम्मान किया
जेएसी मुरैना जागृति की सदस्यों ने जैन मंदिर के संस्कृत विद्यालय में शिक्षा देने वाले आचार्य पं. चक्रेश का सम्मान भी किया। पं. चक्रेश ने बताया कि यह विद्यालय लगभग 112 वर्ष पुराना है, जिसकी स्थापना गोपालदास बरैया ने की थी। उन्होंने गोपालदास बरैया के जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि उन्होंने एक संकल्प के साथ विद्यालय शुरू किया और इसके संचालन के लिए समर्पण भाव के साथ जुटे रहे। यहां तक कि शुरुआत में लंबे समय तक वे स्वयं यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए भोजनादि का प्रबंध करते थे।