जबलपुर जैन समाज के गौरव कर्मठ कार्यकर्ता और वर्तमान में शासनोदय तीर्थ जो पूर्व में पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर हनुमानताल जबलपुर के नाम से प्रसिद्ध था, वर्ष 1908 से 1943 तक उस मंदिर के ट्रस्टी ,मंत्री और मंदिर जी को किला रूप में निर्माण करने का श्रेय दादा श्री लोकमन जैन को जाता है ।उन्होंने अनवरत 35 वर्ष मंत्री के रूप में कार्य संपादित किया ।मंदिर निर्माण ,सुरक्षा ,परिवर्तन परिवर्धन उनके कार्यकाल में हुआ था। दादा सुबह से तैयार होकर मंदिर की में पूजा पाठ कर काम करने वाले कर्मचारीयों से निर्माण कार्य कराते और बीच में मात्र घर खाना खाने जाते और शाम को सब कर्मचारियों की छुट्टी के उपरांत घर वापस आकर जबलपुर के हृदय स्थल फुवारा पर स्थित दुकान पर आते।
वर्ष 43 में बाजार से लौटते समय हनुमान ताल में स्थित जैन मंदिर डेवडिया जी के सामने शीश नवाते हुए ऊबड खाबड सड़क होने के कारण गिर जाते हैं और मंदिर जी के सामने ही उनके प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। वे अपने पीछे चार भाई दादा श्री बेनी प्रसाद दादा श्री रामचंद्र ,दादा श्री दुलीचंद ,दादा श्री खूबचंद के साथ उनकी चार पुत्रियां और 6 पुत्रो के साथ भरा पूरा परिवार छोड़ कर गए ।उनके देहावसान से ततसमय जैन समाज की अपूरणीय क्षति हुई । विशेष रूप से श्री दिगंबर पारसनाथ जैन मंदिर हनुमान ताल वर्तमान में शासनोदय तीर्थ जबलपुर का मजबूत स्तंभ का अवसान हुआ।
वर्ष 2023 में उनके देहावसान को 80 वर्ष हो गए उनकी याद पुरानी पीढ़ी के लोग जानते हैं। उनके बाद श्री दादा दुलीचंद दादा श्री खूबचंद ने भी अपने कर्तव्यों का मंदिर के प्रति निष्ठा पूर्वक कार्य किया।
पारिवारिक उत्थान पतन के कारण परिवार शासनोदय तीर्थ में अपना महती योगदान नहीं दे पा रहा है पर नीव के पत्थर कभी मीनार नहीं देखते। बस उनका नाम ही हमारे परिवार को गौरव प्रदान करता है।
डॉ अरविंद प्रेमचंद जैन जबलपुर /भोपाल
९४२५००६७५३
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