डडूका में प्रवासरत आचार्य श्री विशुद्ध सागरजी महाराज के सु शिष्य मुनि शुद्ध सागरजी महाराज ने आज प्रातः कालीन प्रवचनों में श्रावक श्राविकाओं को सुखी होने के उपाय बताते हुए कहा की जब तक आप सुखी होने के लिए आराम देने वाले संसाधनों को जुटाने में लगे रहोगे तब तक कभी सुखी नहीं हो सकते हो। संसार का हर प्राणी सुखी होने की आकांक्षा रखता है पर वह समस्त साधन जोड़कर सुख पाने का प्रयास करता है और इसी कारण सुखी होने के बजाय दुःखी होता रहता है। जब आपका सुखी होने का उपाय ही झूठा है फिर आप सुखी कैसे हो सकते हैं। जब दर्द पेट में हो रहा है ओर दवा बुखार की लोगे तो आपको राहत कहा से मिलेगी।
संसार में सम्यक दृष्टि को छोड़ सभी मिथ्या दृष्टि लोग उस सुख को पाने के बेकार प्रयास करते है जिनसे सुख नहीं मिलना। मुनि श्री ने कहा की इच्छाओं पर नियंत्रण कर, सब कुछ ईश्वर के भरोसे ही छोड़ कर ही सुखी बना जा सकता है।
प्रवचन के पूर्व आज पारसनाथ जिनालय डडूका में मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज के सान्निध्य में श्री 1008श्री वासुपूज्यनाथ भगवान के गर्भ कल्याणक पर्व पर विशेष शांति धारा का आयोजन किया गया। सभा में जैन समाज डडूका, जैन युवा समिति डडूका, दिगंबर जैन पाठशाला डडूका तथा प्रभावना महिला मंडल डडूका की बहनों ने हिस्सा लिया। मुनि श्री शुद्ध सागरजी महाराज के प्रतिदिन के प्रवचन शुद्ध जिनवाणी नाम से यू ट्यूब चैनल पर भी उपलब्ध है।
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