इतना संकल्प,शांति और अदम्य साहस विधायक घुवारा जी में कहां से आया निश्चित साहस की ऊर्जा की स्त्रोत श्रीमति भागवती देवी ही थी : अबधेश प्रताप सिंह

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टीकमगढ18/5/2025 / *श्री अवधेश प्रताप सिंह विधानसभा सचिव म.प्र ने आज  स्व.श्रीमती भागवतीदेवी घुवारा धर्मपत्नी स्व. श्री कपुरचन्द्र घुवारा पूर्व विधायक के टीकमगढ़ मे निवास पर पहुंच कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित* कर भूमिपुत्र पवनघुवारा परिवार को संतावना दी, साथ मे समाज सेवी डा हरिहर यादव सहित उपस्थित रहे जहां  श्रद्धांजलि स्मृति यादगार शब्दों मे पवनघुवारा ने विज्ञप्ति मे बताया कि
श्रीमती भगवती घुवारा इसलिए महान नहीं थी कि वह एक मां एक बेटी एक बहू के रूप में जन्म लिया बल्कि इसलिए महानता की देवी थी क्योंकि उन्होंने चट्टानों जैसी समस्याओं और बड़े-बड़े माफियाओं से टकराने वाले अपने पति स्वर्गीय श्री कपूर चंद्र जी घुवारा के संघर्ष की साथी एवं संघर्ष की साक्षी रही और हार नहीं मानी उन समस्याओं से उन परिस्थितियों से आपातकाल के समय अकेले नारे लगाते हुए जेल जाना स्वीकार किया तब 6 बच्चों की मां श्रीमती भागवती घुवारा कभी भी विचलित नहीं हुई। देश और समाज के लिये सघर्ष कार्य मे श्रीमती भागवती द्वारा उनकी छाया बनकर साथ जब गरीबो की कोई नहीं सुनने वाला था तब प्रशासन के गलत कदमों को रोकने के लिए घुवारा जी के साथ मैदान में रही, जहां टीकमगढ़ में सीलिंग की जमीन को भूमिहीनों में बांटने के लिए घुवारा जी जब आंदोलनरत थे तब बहुत से जमींदार, को कब्जे वाली जमीन छोड़नी पड़ी और घुवारा जी के विरूद्ध लाम बंद हो गए। तब घुवारा जी के साथ खड़े होने में श्रीमती भगवती घुवारा ही थी। निडर, निर्भीक और धर्म पर आस्था ध्वज लिए सत्य न्याय की लड़ाई में साथ चलीं।
  ललितपुर सिंगरौली रेल लाईन की स्वीकृति के साथ इस पिछड़े क्षेत्र के विकास के लिये अनैकों बार आंदोलन किये और विधायक रहते विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित कराया। हजारों हजार लोगों की भीड़ के साथ आंदोलन में जहाँ श्री घुवारा जी अपने सहयोगियों के साथ संघर्ष कर रहे थे तब महिलाओं का नेतृत्व श्रीमति भागवती घुवारा भी कदम से कदम मिलाकर चला करती थीं। इतनी संकल्प, शांति और अदम्य साहस घुवारा जी में कहां से आया इस सफलता और साहस की ऊर्जा की स्त्रोत निश्चित श्रीमति भागवती घुुवारा थी। समपूर्ण बुन्देलखण्ड मे एक ही नारा था  *खोलो उद्योग डालो रेल वरना हम भर देंगे जेल* सन् 1977-78 में घुवारा क्षेत्र के कुछ दंबगों ने हरदास चढार एवं पुनउव के नाक कान काट दिये थे तो घुवारा जी ने वह प्लास्टिक सर्जरी कराकर जुडबाई नाके और दंबगो को मुंह तोड़ जबाव दिया। जहां श्री घुवारा जी के ऊपर छतरपुर एस.पी.ऑफिस के सामने प्राण घातक हमला हुआ उन विकट परिस्थितियों में अपने सिंदुर पर आंच आई तो ऐसी परिस्थितियों में भी छोटे-छोटे बच्चों के बीच धैर्य से काम लिया। हमेशा अन्याय अत्याचार शोषण के खिलाफ अपनी भूमिका एक वीरांगना की तरह श्रीमति भागवती घुवारा ने निभाई है। उनके साहस एवं शौर्य व धर्म को नमन करते हुये उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते है।

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