इतिहास मढ़े नहीं जाते इतिहास गढ़े जाते हैं
न कॉपी करेंगे न कम्पीटिशन करेँगे बस इतिहास रचेंगे गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी
आदिनाथपुरम रानीला में देश के जैन प्रतिभाशाली छात्र- छात्राओं का हुआ सम्मान
हरियाणा के चरखी दादरी जिले में स्थित रानीला गांव के आदिनाथ अतिशय क्षेत्र आदिनाथपुरम में गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी के सानिध्य में देश भर के जैन प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं का सम्मान समारोह ज्ञानार्ष भक्त परिवार एवं रानीला कमेटी के संयोजन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ ध्वजारोहण व मंच उद्धघाटन के साथ हुआ तो देश भर के लगभग 350 छात्र छात्राओं को विशेष उपलब्धि,दसवीं एवं बारहवीं कक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने पर मेडल,शील्ड प्रशस्ति प्रमाण पत्र व उपहार देकर समान्नित किया गया।
इस अवसर पर आर्यिका श्री आर्ष मति माताजी ने ऊर्जावान वक्तव्य देते हुए कहा कि जितना संघर्ष करोगे उतना ही निखार आएगा अतः मनोबल को उच्च रख लक्ष्य साधना की ओर बढ़ना ही आपका उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न कॉपी करेंगे न कम्पीटिशन करेँगे बस इतिहास रचेंगे यही आपकी मूल भावना होनी चाहिये।
जैन धर्म मे विवाह की दिलाई शपथ प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को माता जी द्वारा शपथ दिलाई गई कि वह अपना विवाह जैन धर्म में ही करेंगे उन्होंने कहा जो ब्रांड हमारे मोबाइल का है उसी का चार्जर लेकर आये तो सभी उपस्थित छात्र-छात्राओं ने दोनों हाथ खड़े कर इस आशय की शपथ ली। इस अवसर पर संपूर्ण संघ आर्यिकाओं का पिच्छिका परिवर्तन भी हुआ तो नूतन पिच्छिका प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के द्वारा माताजी के कर कमलो में भेंट की गई तो सभी छात्र-छात्रा अति उत्साहित नजर आए।
भक्तामर साधिका की उपाधि कार्यक्रम के दौरान रानीला अतिशय क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष विजय बाबूजी और कमेटी के सभी पदाधिकारी द्वारा उपस्थित जैन समाज की सहमति लेकर गणिनी आर्यिका आर्षमति माताजी को भक्तामर की साधना हेतु “भक्तामर साधिका” की उपाधि से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर कहा कि 34 वर्षों से स्थापित रानीला क्षेत्र पर प्रथम वर्षायोग सम्पन्न हुआ है जो अद्धभुत व अकल्पनीय है। कार्यक्रम में सम्मिलित होते हुए संजय जैन बड़जात्या कामां ने कहा कि रानीला की धरा पर इतिहास गढ़ा गया है जिसका जीवन्त प्रमाण आदिनाथ पुरम रानीला में पूज्य गणिनी आर्यिका आर्ष मति माताजी के सानिध्य व आशीर्वाद से ज्ञानार्ष परिवार ने प्रतिभा सम्मान में प्रस्तुत किया है जो ह्रदय के अनंत तल से शुभकामनाओं के हकदार है। वर्तमान में यदि देखा जाए तो जैन समाज में एक से बढ़कर एक कार्यक्रम होते हैं जिनका वैभव स्वतः ही देखने लायक होता है, किंतु धरातल पर यदि कोई समाज हित में कार्य हुआ है तो वह प्रतिभा सम्मान समारोह है जिससे हमारे युवाओं व होनहार बच्चों को एक नई ऊर्जा और प्रोत्साहन मिलता है।
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज समाज हित में बड़े ही चिंतन करते थे उनके चिंतन, मनन और मंथन में यह बात स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती थी।जब भी उनसे मिले उन्होंने बस एक ही बात पर जोर दिया कि कुछ करो,समाज हित मे बच्चे के लिए नियमावली बनाने वाले बिरले सन्त थे।
भव्य कार्यक्रम यूं ही नही बनता है उसके लिए दिव्य प्रेरणा,उत्कृष्ट योजना,टीम भावना,समर्पण,कर्मठता और कार्य के प्रति जवाबदेही होती है।जो आर्यिका आर्ष मति माताजी व ज्ञानार्ष भक्त परिवार में समाहित है। प्रशंसनीय,सराहनीय ही नहीं अपितु मील के पत्थर गड़ने का कार्य प्रतिभा सम्मान समारोह में हुआ है। युवाओं व युवतियों को चिन्तनीय विषय विधर्मी विवाह न करने की शपथ माताजी की उत्कृष्ट चिंतन की महनीय परिधि है।
भव्य पांडाल,सुसज्जित मंच,उत्कृष्ट संयोजन,बेहतरीन शब्द उच्चारण,ह्र्दयांगम संगीत,मन लुभावन भोजन,सराहनीय व्यवस्था,सारगर्भित मंथन कुल मिलाकर अतुलनीय आयोजन, सम्पूर्ण टीम को पुनश्च बधाई। संगीत की स्वर लहरियों में ज्ञानसागर गुरु की शिष्या गुरु का मान बढ़ाया है
प्रतिभाशाली बच्चों का प्रतिभा सम्मान कराया है भजन की गूंज सुनाई दी। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में होनाहार छात्र-छात्राएं उनके अभिभावक गण और श्रावक गण उपस्थित रहे।
संजय जैन बड़जात्या कामां
Unit of Shri Bharatvarshiya Digamber Jain Mahasabha















