इतिहास रचते हुए : मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज का नेपाल सीमा में प्रथम प्रवेश हुआ…

0
8

इतिहास रचते हुए : मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज का नेपाल सीमा में प्रथम प्रवेश हुआ…

मिथिलापुरी (सुरसंड/बिहार) – दिनांक 11 दिसंबर 2025 को दिगम्बर जैन धर्म के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया। सराक केशरी मुनि श्री 108 विशल्य सागर जी महाराज ने अपने ससंघ के साथ नेपाल की सीमा में प्रवेश करने वाले प्रथम दिगम्बर जैन साधु बनने का गौरव प्राप्त किया। यह घटना अहिंसा और सद्भाव के संदेश को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तक पहुँचाने की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम है।
मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज ससंघ का यह ऐतिहासिक प्रवास मिथिलापुरी जी दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र पर आयोजित दो दिवसीय भव्य पंचकल्याणक महामहोत्सव के सफल समापन के तुरंत बाद हुआ। पंचकल्याणक के आध्यात्मिक वातावरण से प्रेरित होकर मुनिराज ने तीर्थ क्षेत्र से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नेपाल बॉर्डर की ओर प्रस्थान किया।
जैन धर्म के सिद्धांतों और अहिंसा के मार्ग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से मुनिराज ने नेपाल सीमा में लगभग 01 किलोमीटर अंदर तक पदयात्रा की। यह प्रथम अवसर था जब किसी दिगम्बर जैन मुनि ने इस क्षेत्र से नेपाल की सीमा के अंदर प्रवेश किया हो।

नेपाल सीमा के भीतर पहुँचकर मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज ने वहाँ उपस्थित जनसमूह को अपना आशीर्वाद और प्रवचन प्रदान किया। अपने तेजस्वी उद्बोधन में मुनिराज ने सभी को भगवान महावीर के दिखाए गए अहिंसा के मार्ग पर चलने, सत्य, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों को जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। उन्होंने सभी मनुष्यों के बीच प्रेम, करुणा और भाईचारे के रिश्ते को मजबूत करने पर बल दिया।
मुनिराज के इस ऐतिहासिक कार्य से न केवल दिगम्बर जैन समाज गौरवान्वित हुआ है, बल्कि यह घटना भारत और नेपाल के आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को एक नई ऊँचाई प्रदान करती है। यह संदेश देता है कि धर्म और अध्यात्म की शक्ति सभी भौगोलिक सीमाओं से परे है।
यह ऐतिहासिक क्षण मुनि श्री विशल्य सागर जी महाराज की निर्भीकता और वैश्विक सद्भाव के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसने भविष्य के लिए एक महान उदाहरण स्थापित किया है।
✍🏻संकलन कर्ता-कोडरमा मीडिया जैन राज कुमार अजमेरा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here