तर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज औरंगाबाद नरेंद्र /पियूश जैन 26 मई)। अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज की उत्तराखण्ड के बद्रिनाथ से हरिद्वार ओर हरिद्वार से तरूण सागरम तीर्थ दिल्ली अहिंसा संस्कार पदयात्रा चल रही है आज भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार
श्री आदिनाथ अतिथि भवन देवगन से मैपल्स एकडेमी, हाइवे पर दुरी-5.00km l के लिए होगा। विहार दरम्यान उपस्थित गुरु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी महाराज ने कहा कि
सुख, शांति, प्रेम और प्रसन्नता का अर्थ लड़ना झगड़ना नहीं है..
बल्कि उन बुराइयों से कुशलता पूर्वक दूर हो जाना, जिन बातों से सुख, शान्ति, प्रेम, प्रसन्नता कम हो रही हो..!
क्योंकि अभिमानकी ताकत फरिश्तों को भी शैतान बना देती है। और सरलता, विनम्रता, प्रसन्नता साधारण व्यक्ति को भी फ़रिश्ता बना देती है। मैं मानता हूँ — संसार में बुराईयाँ है। पर तुमने कभी सोचा कि बुराइयाँ क्यो है?दुनिया में बुराईयाँ इसलिये नहीं है कि बुरे आदमी ज्यादा बोलते हैं बल्कि इसलिये है कि भले आदमी समय पर चुप रह जाते हैं। आज हमने गलत को गलत कहने की हिम्मत खो दी है। यही कारण है कि बुराईयाँ हमारे सिर पर चढ़कर बोल रही है। हमें गलत को गलत कहने की हिम्मत बरक़रार रखना है। जब तक हममें गलत को गलत कहने की हिम्मत होगी तब तक हमारा भविष्य सुरक्षित है। अन्यथा ________। परन्तु कब किससे कहाँ कैसे कहना है, इसका विवेक होना चाहिए। अन्यथा आपकी सही बात, गलत वक्त पर बोलने से आप पर भारी पड़ सकती है। ईमानदार और साहसी लोगों से ही घर, परिवार और समाज का भला हो सकता है। सिर्फ ईमानदार और साहसी होना ही पर्याप्त नहीं है, साथ में हिम्मत भी चाहिए बोलने और सुनने की।
क्योंकि –दिल के साफ़ और सच बोलने वाले इंसान, अक्सर अकेले मिलते हैं..यह जिन्दगी का कड़वा सच भी है…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद