हम दूसरों को सुधारें, उससे पहले स्वयं को सुधारना बहुत जरूरी है प्रसन्न सागर जी महाराज औरंगाबाद उदगाव नरेंद्र /पियूष जैन भारत गौरव साधना महोदधि सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का महाराष्ट्र के ऊदगाव मे 2023 का ऐतिहासिक चौमासा चल रहा है इस दौरान भक्त को प्रवचन कहाँ की
अनुशासन एक प्रभावी पुरस्कार है लेकिन
तब प्रभाव पड़ता है, जब स्वयं से प्रारम्भ होता है..
अन्यथा अनुशासन हीनता जैसी खतरनाक बीमारी दूसरी कोई नहीं..!
हम दूसरों को सुधारें, उससे पहले स्वयं को सुधारना बहुत जरूरी है। हर पिता अपने बेटे को राम जैसा देखना चाहता है लेकिन स्वयं रावण के कारनामों से ग्रसित है।कैसे परिवर्तन आयेगा-? मैं जानता हूं एक युवक को- वह अपने पिता से बोल रहा था कि पापा आप हमको एक घन्टे के लिये अपना मोबाइल दे दो। हम मम्मी के सामने आपका पूरा चिट्ठा खोल देंगे। पिता ने कहा- फालतू की बकवास मत कर।
ध्यान रखना – हम दूसरों को जितना नियन्त्रित करेंगे वो उतना ही उच्छंकर हो जायेंगे। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है स्वयं अपनी मर्यादा की लक्ष्मण रेखा खींचे और उसके भीतर जीना शुरू करें। फिर देखो कैसे परिवर्तन आता है। आज के दौर में किसी को सुधारना या अनुशासन में रखना ऐसा ही जैसे बिन पानी के तैरना सीखना।तैरना सीखना है तो पानी में तो उतरना ही पड़ेगा।
जो हम बोलकर नहीं करवा पाते, वो हम मौन होकर करवा सकते हैं। घर, परिवार, समाज, देश, राष्ट्र और साधु समाज में हम यदि परिवर्तन चाहते हैं तो स्वयं से शुरुआत करो…!!!। नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद