हम सही संगति चुनकर सच्चे मित्र के मार्गदर्शन में अपने धर्म व संस्कारों की रक्षा करते हुए जीते हैं।——–मुनि अनुपम सागर महाराज
श्री पार्श्वनाथ भगवान का विधान पूजा संपन्न हुई।
भीलवाड़ा, 30 सितंबर- रूप सजाने के लिए, पहचान बनाने के लिए संसार में आए हैं, सुबह से शाम तक सजाने में लग रहे हैं, तन का आभूषण सजाने में लगा है। ऐसा श्रृंगार धर्म को नाश कर रही है।
मुनि अनुपम सागर महाराज आमलियो की बारी स्थित सभा मंडप में धर्म सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि शील का श्रृंगार करना ही वास्तविक श्रृंगार है, काल्पनिक श्रृंगार से मनुष्य सजा पा रहा है। असली जीवन वही है जहां हम सही संगति चुनकर सच्चे मित्र के मार्गदर्शन में अपने धर्म व संस्कारों की रक्षा करते हुए जीते हैं। पाप को भीतर से नष्ट कर दो, यही सच्चा धर्म है। घर-घर से संकलेश बैठा है उसे मिटा कर ही सच्चा सुख- शांति प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि परिवार , समाज, मित्रता में छल कपट करता है वह व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो पाएगा। न समाधि मरण कर पाएगा।
मुनि निर्मोह सागर महाराज ने कहा कि पाप के उदय से उसे धर्म नहीं सुहाता हैं। भक्ति में शक्ति होती है, भगवान की भक्ति में श्रद्धा रखने से अपने पापों का क्षय होता है। प्रातः मंदिर में में अभिषेक, शांतिधारा होने के बाद मंडप में दीपप्रज्वलन, श्रेष्ठीगणो द्वारा मुनि ससंघ का पादपक्षालन, शास्त्र भेंट किए गए। महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया। प्रदीप चौधरी ने बताया कि दोपहर 1:00 बजे से 2:00 बजे तक धार्मिक कक्षा में मुनि अनुपम सागर महाराज ने बच्चों को संस्कार देने का उद्बोधन दिया।
2:00 बजे से श्री पार्श्वनाथ भगवान का विधान पूजा मुनि ससंघ के सानिध्य में विधानाचार्य संजय कासलीवाल के निर्देशन में प्रारंभ हुआ। जिसमें भक्ति-भाव से इंद्र- इंद्राणियों ने 64 अर्ग समर्पण किये। इस अवसर पर बड़ी संख्या में धर्मालुगण उपस्थित थे।
मंदिर के अध्यक्ष जयकुमार कोठारी एवं प्रकाश चौधरी ने अतिथियों का स्वागत किया।
समारोह का संचालन पदमचंद काला ने किया।
प्रकाशनार्थ हेतु। प्रकाश पाटनी
आधुनिक राजस्थान, संवाददाता
भीलवाड़ा