हीरे के दुश्मन कंकर पत्थर नहीं है, धर्म के दुश्मन तो नकली हीरे हुआ करते हैं। अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी

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औरंगाबाद पियुष कासलीवाल नरेंद्र  अजमेरा.                                   भारत गौरव साधना महोदधि    सिंहनिष्कड़ित व्रत कर्ता अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज एवं सौम्यमूर्ति उपाध्याय 108 श्री पीयूष सागर जी महाराज ससंघ का पदविहार
कुलचाराम हैदराबाद की और अहिंसा संस्कार पदयात्रा      चल रहा है  विहार  के दौरान भक्तौ को प्रवचन  मे कहाॅ की हैं सच का कोई मुकाबला नहीं..
मगर आज झूठ की पहचान बहुत है..!
आज धर्म स्थलों पर प्रायः स्वार्थियों और व्यापारियों के अड्डे बन गए हैं, असली धर्म को हमने तिजोरियों में बंद कर दिया है, और नकली पूरे बाजार में (संसार) घूम रहा है। कहा है ना — नकली सिक्के असली सिक्के को चलन से बाहर कर देते हैं, यही आज धर्म के साथ हो रहा है। असली धर्म – धर्म की आत्मा को तो, धर्म के ठेकेदारों ने कहीं छुपा रखा है और नकली धर्म पूरे बाजार में चल रहा है। याद रखना!धर्म के दुश्मन नास्तिक नहीं, बल्कि तथाकथित आस्तिक है जो धर्म को अपने स्वार्थ पूर्ति का साधन बना कर, उसे बेचने तक में संकोच नहीं करते।
हीरे के दुश्मन कंकर पत्थर नहीं है, धर्म के दुश्मन तो नकली हीरे हुआ करते हैं। कंकर पत्थर तो अलग ही पहचाने जाते हैं, नकली हीरो को पहचान पाना किसी जोहरी का ही काम हो सकता है, हर किसी का नहीं। आज तो नकली हीरो में असली हीरे से भी ज्यादा चमक दिखाई दे रही है। मगर यह चमक कितने दिनों की है–? चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात।
मुश्किल से मिलता है, शहर में धर्म..
यूँ तो कहने को हर इन्सान धर्मात्मा है…!!! नरेंद्र अजमेरा पियुष कासलीवाल औरंगाबाद

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