हिंदी भाषा भारत की विविधता को एकता के सूत्र में बांधने वाली अटूट कड़ी है….नीति जैन

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अम्बाह (मनोज जैन नायक) हिंदी भाषा भारत की विविधता को एकता के सूत्र में बांधने वाली अटूट कड़ी है। हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। एक दूसरे से जुड़ने का सहज और सरल साधन भी है। हिंदी भारत की सांस्कृतिक विविधता में एकता की महत्वपूर्ण कड़ी के साथ ही हमारी पहचान की मजबूत बुनियाद भी है। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को एकता के सूत्र में पिरोती है। देश के एक रखने वाली हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति है। 14 सितंबर का दिन इसी हिंदी को समर्पित है। हिंदी दिवस के मौके पर स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़े का आयोजन होता है। हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिंदी से संबंधित संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक आयोजन होता है। स्‍कूलों, कॉलेजों में निबंध, भाषण, वाद-विवाद प्रतियोगता, कविता पाठ आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। हिन्दी सिर्फ भाषा या संवाद का ही साधन नहीं है, बल्कि हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। हिन्दी भाषा हमें हमारे वर्तमान के साथ साथ भारतीय संस्कृति की धरोहर उन महान प्राचीन संस्कृत ग्रंथों से भी जोड़ती है, जो आज हमारे लिए गर्व का कारण है। एक लोकतांत्रिक देश में तो अपनी मिट्टी से जन्मी भाषा के प्रयोग का महत्व इसलिए भी और महत्वपूर्ण व अनिवार्य हो जाता है क्योंकि वही लोकमत की अभिव्यक्ति का सही और स्वभाविक माध्यम हो सकता है। यह हम सब भारतवासियों का कर्त्तव्य है कि हम हिंदी भाषा के विकास, विस्तार, प्रचार प्रसार में अपना योगदान हें। साथियों हमारे देश की महान हस्तियां भी हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए पुरजोर समर्थन देती रही हैं। राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। आचार्य विनोबा भावे ने कहा था कि मैं दुनिया की सभी भाषाओं की इज्जत करता हूं पर मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं सह नहीं सकता। आचार्य विद्यासागर महाराज ने कहा था कि हम हिंदी में सोचते हैं, हिंदी में सपना देखते हैं। तो हिंदी को बोलने में क्यों शर्माते हैं। मातृभाषा से ही देश का विकास है दूसरी भाषा से देश का विकास नहीं हो सकता।

हिंदी ने हमें दुनियाभर में पहचान दिलाई है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। हिंदी भाषा भारत के बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि आज देश में डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कई संस्थानों में हिंदी मीडियम में होने लगी है। एमबीबीएस व बीटेक की किताबें हिंदी में आने लगी हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग जमकर हिंदी का इस्तेमाल करने लगे हैं।
आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया। तब से हर साल पूरे देश में हिंदी दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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