इस्लामी नया साल जिसे अल-हिजरा या अरबी न्यू ईयर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक नए इस्लाम धर्म के कैलेंडर वर्ष की शुरूआत को चिह्नित करता है। इस्लामिक नया वर्ष मुहर्रम के पहले दिन से शुरू होता है। माह मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महिना है।
इस्लामी नए साल की तारीख हर साल बदलती रहती है क्योंकि इस्लामी कैलेंडर सौर कैलेंडर की तुलना में 11 दिन कम है। मुहर्रम के पहले दिन मालः हिजरह या इस्लामी नव वर्ष मनाया जाता है। यह एक नए साल के जश्न की तुलना में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है। मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग शांति और दुआओं के साथ इस्लामिक न्यू साल का स्वागत करते हैं।
मुसलमानों द्वारा मनाया जाने वाला नया साल में हो-हल्ला नहीं होता है बल्कि यह एक काफी शांतिपूर्ण उत्सव है। इस दिन मुस्लिम लोग दुआ करने के लिए मस्जिदों में जमा होते है। इस दिन को पैगंबर मुहम्मद साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाते हैं।
इस्लामिक नए साल का सबसे जरूरी हिस्सा मक्का से मदीना तक मुहम्मद की यात्रा (हिजरा) बताई जाती है। जिस दिन पैगंबर मुहम्मद मक्का से मदीना आए थे उसी दिन इस्लामी नव वर्ष मनाया जाता है। यह दिन मक्का के दमनकारी गैर-मुस्लिम जनजाति से भागने का प्रतीक हैं।
मक्का में ऐसे लोग थे जो आपस में दुश्मनी रखते थे उन्होंने पैगंबर मुहम्मद के साथियों के साथ बुरा बर्ताव, अत्याचार करने शुरू कर दिए। इसलिए मुहम्मद ने अपने साथी अबू बकर के साथ ऊंट पर मक्का से मदीना यात्रा की। मदीना में उन्हें अच्छे लोग मिले और अपना समुदाय और धर्म बढ़ाने की इजाजत
मिली
यह घटना 622 ईस्वी में हुई थी तो इसलिए इस्लामी नया साल मक्का से मदीना तक पैगंबर मुहम्मद की यात्रा को दर्शाता है। इस्लामिक कैलेंडर की शुरूआत 1439 साल पहले हुई थी यानि इस साल इस्लामिक सन् 1439 चल रहा है।
इस्लामिक नए साल पर मुस्लिम समुदायों में नए साल के कार्ड और उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता है। जो मुस्लिम पैगंबर मुहम्मद बताई बातों का पालन करते है उन्हें सुन्नी मुस्लिम कहा जाता है। सुन्नी मुसलमान इस दिन रोजा रखते है हालाँकि शिया मुस्लिम नए साल की गतिविधियों में हिस्सा नहीं लेते है।
शिया मुस्लिम इसे गम के महीने के रूप में देखते है। जिसे आशुरा कहा जाता है ये मुहर्रम के दसवें दिन खत्म होता है। इसी प्रकार, सुन्नी मुस्लिम भी इस दिन को ज्यादा गंभीरता से नहीं मानते है क्योंकि इससे कुछ दिन पहले अबू बकर की मुत्यु हुई थी।
इस्लामी नया साल के दिन बुबुर असुर एक पारंपरिक पकवान है। नए साल का स्वागत करने के लिए मुस्लिम मस्जिदों में इकठ्ठा होते है। इस दिन हॉल और मस्जिदों में प्रार्थनाएं और उपदेश आयोजित किए जाते हैं। अन्य धार्मिक गतिविधियों में पवित्र पुस्तक, आध्यात्मिक गायन और कुरान का पाठ शामिल हैं।
मुसलमानों के लिए अल-हिजरा या इस्लामिक नया साल पार्टियों और समाराहों की तुलना में स्वयं प्रतिबिंब और ऐतिहासिक जागरूकता के लिए एक अवधि का प्रतिनिधित्व करता है। वे सोचते है की पिछले साल की बुरी यादों को कैसे भुलाया जाये और अगले साल बेहतर जीवन जीने का संकल्प लेते हैं।
रमजान के बाद मुहर्रम इस्लामी साल का दूसरा सबसे पवित्र महिना है। मुहर्रम महीने के 10वें दिन कुछ मुस्लिम आशुरा चिह्नित करते है जो इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन इब्न अली की शहादत मनाते हैं।
इस्लामिक नए साल से जुड़ी बातें
इस्लामी नव वर्ष इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने के पहले दिन शुरू होता है।
इस्लामी वर्ष के पहले महीने को मुहर्रम कहा जाता है।
इस्लामिक नया साल की शुरूआत तब हुई जब 622 ईस्वी में धार्मिक उत्पीडन से बचने के लिए पैगंबर मुहम्मद मक्का से मदीना आ गए थे।
इस इस्लामी नए साल को (प्रवासन) अरबी में हिजरा कहा जाता है।
इस्लामी कैलेंडर चंद्र वर्ष पर आधारित है।
इस्लामी कैलेंडर में 12 महीने है लेकिन केवल 354 या 355 दिन है।
इस्लामी नव वर्ष आमतौर पर कम जरूरी धार्मिक घटनाओं के साथ मनाया जाता है।
यह दिन कुछ मुस्लिम देशों में आधिकारिक अवकाश है लेकिन यह दूसरों में रोज की तरह कामकाजी दिन हैं।
यह दर्शाता है की विश्वास करने वाले लोगों के लिए कठिनाइयों के बाद आसानी की आशा हैं।
मुस्लिम माँ-बाप परंपरागत रूप से इस रात मक्का से मदीना तक मुहम्मद की यात्रा के बारे में अपने बच्चों को बताते हैं।
इस्लामी नव वर्ष 2023 में 9 से 10 अगस्त को है। 9 अगस्त की शाम को शुरू होगा और 10 अगस्त को समाप्त होगा। लेकिन यह तारीख बदल सकती है क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्र कैलेंडर पर आधारित हैं।
इस्लामिक नया साल सूर्यास्त में नए चंद्रमा को देखने के साथ शुरू होता है, मुहर्रम की शुरूआत को चिह्नित करता है। इस प्रकार हर साल तारीख बदल जाती है। इस्लामी कैलेंडर सौर-आधारित ग्रेगोरियन कैलेंडर से 11 या 12 दिन छोटा है।
2023 में अधिकांश इस्लामी देशों और समुदायों के लिए 9 अगस्त को पड़ेगा। इस्लामी नए साल को विश्वास के लिए समर्पित एक दिन माना जाता है और एक समय है जब मुसलमान इस्लाम की शुरूआत का सम्मान करते है।
इस्लामिक नया साल भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया और सयुक्त अरब अमीरात जैसे स्थानों में सार्वजनिक अवकाश है। पहला इस्लामी साल 622 ईस्वी में मक्का से मदीना तक पैगंबर मुहम्मद के प्रवासन के साथ शुरू हुआ था।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू, नियर डी मार्ट ,होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३
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