हर मास-एक उपवास के उद्देश्य से भारत मंडपम दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जनमंगल सम्मेलन

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हर मास-एक उपवास के उद्देश्य से भारत मंडपम दिल्ली में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जनमंगल सम्मेलन
गाजियाबाद/कोडरमा। ‘हर मास एक उपवास’ पर आधारित अंतर्मना धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट तथा पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के संयुक्त तत्वाधान में भारत मंडपम, नई दिल्ली में द्विदिवसीय 12 – 13 दिसंबर को विश्वस्तरीय जनमंगल महोत्सव का भव्य और ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। यह अद्भुत महोत्सव तपस्वी सम्राट, साधना महोदधी जैन संत अंतर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज के सानिध्य एवं संरक्षण में किया जा रहा है। जिसमें विशेष रूप से विश्व विख्यात योग ऋषि बाबा रामदेव भी अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। यह कार्यक्रम बनेगा आध्यात्मिक अनुभूतियों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत संगम ।
कार्यक्रम को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। पहले दिन 12 दिसंबर को कार्यक्रम का शुभारंभ इस युग के महावीर महामुनि जैन संत अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्न सागर जी महाराज तथा बाबा रामदेव के सानिध्य में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी के आतिथ्य में होगा जिसमें केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी, भूपेंद्र यादव, दिल्ली मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता सहित तमाम अन्य संत और सिद्ध विभूतियां विशिष्ट अतिथियों के रूप में शामिल रहेंगे। दूसरे दिन योग और प्राणायाम पर विशेष विमर्श होगा।

हर मास एक उपवास के महत्व पर होंगे अंतर्मना के प्रवचनः तपाचार्य अंतर्मना आचार्य श्री प्रसन्न सागर जी महाराज ने सबसे कठिन उत्कृष्ट सिंह निष्क्रीडित व्रत सम्पन्न कर इतिहास रच दिया हैं। उन्होंने ये घनघोर तपस्या जनकल्याण के लिए की है। गौरतलब है कि
अंतर्मना ने उत्कृष्ट सिंह निष्क्रीड़ित व्रत 557 दिन की अखण्ड मौन व्रत साधना की है जिसमें 496 उपवास और मात्र 61 पारणाएँ शामिल हैं।

सिंह निष्क्रीड़ित व्रत का फलः इस व्रत के फलस्वरूप मनुष्य वज्र वृषभ नाराच संहनन का धारक, अनन्तवीर्य से सम्पन्न, सिंह के समान
निर्भय और अणिमा आदि गुणों से युक्त होता हुआ शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है। भगवान महावीर के जीव ‘नन्दन’ मुनिराज के भव में कनकावली, रत्नावली, मुक्तावली और सिंह निष्क्रीड़ित आदि अनेकों व्रतों का अनुष्ठान किया था।

उसी प्रकार भगवान के नेमिनाथ के जीव ने भी
तीर्थकर से तृतीय भव पूर्व ‘सुप्रतिष्ठ’ मुनिराज की अवस्था में इन कनकावली आदि अनेकों व्रतों का अनुष्ठान किया था और आज तक बहुत से महापुरुष इन व्रतों का अनुष्ठान करते रहे हैं।

भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के 2600 वर्षों के बाद सम्मेदशिखर जी की स्वर्णभद्र कूट की
पावन भूमि पर 557 दिन की सिंहनिष्क्रीड़ित व्रत की कठोरतम अखण्ड मौन एकान्तवास की महासाधना करने वाले अन्तर्मना आचार्य श्री 108 प्रसन्नसागर जी महाराज के सानिध्य में व्रत के महत्व पर विशेष प्रकाश डाला जाएगा। जनमंगल महोत्सव का केन्द्रीय विषय भी इसलिए हर मास एक उपवास
रखा गया है ताकि उपवास का हमारे भौतिक आध्यात्मिक जीवन पर जो प्रभाव पड़ता है उस पर गहराई से चिंतन हो, जिसका लाभ सभी को मिले ।साथ ही आचार्य भगवन ने पूरे विश्व के भक्तों से 13 दिसंबर को एक दिन एक उपवास का आह्वान किया है जो पूरे विश्व मे सभी भक्त इस उपवास में शामिल हो रहे है ,संकलन कर्ता-कोडरमा मीडिया प्रभारी जैन राज कुमार अजमेरा,जैन मनीष सेठी ।

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