गुरु शिष्य मां बेटे के रिश्ते संसार में सबसे बड़े रिश्ते होते हैं
/जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज/
21 जून शनिवार 2025
अग्रवाल बड़े जैन मंदिर में धर्म सभा में मुनि ने बताया इस संसार में गुरु शिष्य मां बेटे के रिश्ते सबसे मजबूत रिश्ते होते हैं गुरु ज्ञान द्वारा शिष्य का कल्याण का मार्ग बतलाता है मां अपने बेटे को संस्कारी करके संसार में जीने का मार्ग बताती है
एक नवीन जिनालय सेठ द्वारा बनाया गया उस जिनालय बाहर काफी संख्या में खूटीया लगी हुई थी दर्शन करने वाले दर्शनार्थी ने उस सेठ पूछा खूटीयां क्यों लगा रखी है
उदाहरण देते हुए मुनि ने बताया
जिनालय के बाहर खूंटियां इसलिए लगा रखी है कि जिनालय में दर्शन से पहले अपने राग द्वेष मन के बुरे परिणाम को इन खूटीयो के टाक कर मंदिर में प्रवेश करें
तब ही उसका दर्शन करना सार्थक है
जैन कुल में जन्म लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति की आस्था जिनालय से बनी रहती है
जैन को अपना परिचय नहीं देना पड़ता कि मैं जैन हूं नित्य नियम से पूजन करना धर्म ध्यान करना रात्रि भोजन न करना पानी छानकर पीना यही जैन का परिचय बताती है
अपने जिनालय को जहां भगवान रहते हैं उसे अपने घर से ज्यादा सुंदर बनाएं
मुनि ने यह भी बताया की डॉक्टर को बिना अनुभव के ऑपरेशन नहीं कर सकता केवल मात्र डिग्री प्राप्त करने से वह डॉक्टर नहीं बनता
रोगी का रोग तभी समाप्त होगा जब डॉक्टर को पूर्णता अनुभव होगा
जीव अकेला ही संसार में आया है अकेला ही जाएगा
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने बताया कि संसार में जीव कर्म अनादि से अंत तक करता है अकेला ही जन्म लेता है अकेला ही मरता है कर्मों का फल जो करता है उसे भोगना पड़ता है पांच इंद्रियों को तृप्त करने के लिए यह जीव नाना प्रकार के पाप करता है जब पाप उदय में आता है तो यह जीव बहुत घबराता है मनुष्य को अच्छे कर्म ही करें
बुरे कर्मो से सदैव दूर रहे
महावीर सरावगी वर्षा योग प्रचार मंत्री