कामां गौरव प्रथम गणिनी आर्यिका विजयमती माताजी की प्रतिमा हुई मंत्रोच्चार से विराजमान
सभी वस्तुओं का अलग अलग प्रयोजन से भाव ही नही बदल जाता अपितु महत्व भी परिवर्तित हो जाता है जैसे एक पानी की बूंद धूल के साथ कीचड़ तो वही बून्द सीप के साथ मोती बन जाती है और वही पानी की बूंद श्री जी पर चढ़ती है तो अमृत तुल्य गंधोदक बन जाती है। इसी प्रकार मानव भी जैसी संगत में रहता है वैसा ही बनता चला जाता है अतः दुष्टों की नही सन्तों की संगत में रहना चाहिए उक्त प्रवचन आचार्य वसुनंदी महाराज ने शांति नाथ दिगम्बर जैन मंदिर दिवान जी मे नवीन गुरु मन्दिर प्रतिष्ठा महोत्सव में मंगलवार को व्यक्त किये।
शांति नाथ मंदिर समिति के अनुसार आचार्य संघ सानिध्य में संजय शास्त्री आहार जी,ब्रजेन्द्र शास्त्री, आलोक शास्त्री के निर्देशन में मंत्रोच्चार के साथ विधि पूर्वक आचार्य आदिसागर महाराज,आचार्य महावीर कीर्ति महाराज,आचार्य विमल सागर महाराज, आचार्य सन्मति सागर महाराज व प्रथम गणिनी विजयमती माताजी की नवीन प्रतिमा विराजमान की गयी। इस अवसर पर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की प्रथम वार्षिक वर्षगांठ पर धर्म सभा का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर पाद प्रक्षालन करने का सौभाग्य वीरचन्द उषा देवी अजय जैन गजेंद्र जैन बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ तो शास्त्र भेंट पारस जैन मीरा जैन बड़जात्या परिवार को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर मन्दिर समिति के पदाधिकारियों उत्तम जैन,प्रदीप जैन,भागचन्द बड़जात्या,रिंकू जैन,नीरज जैन द्वारा मूर्ति प्रदाता परिवार धन कुमार जैन कोटा,कोमल जैन लुहाड़िया दिल्ली,शिखर चन्द संजय जैन बड़जात्या परिवार कामां का अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए संजय जैन बड़जात्या ने कहा कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का प्रारम्भ आचार्य सुनील सागर महाराज से हुआ है तो समापन एक वर्ष पश्चात आचार्य वसुनंदी महाराज के कर कमलो के द्वारा हो रहा है। इस अवसर पर प्रवीण जैन व अन्य वक्ताओं ने भी विचार रखे।
जुरहरा के लिए हुआ विहार आचार्य संघ का दोपहर बाद विजय मति त्यागी आश्रम से जुरहरा के लिए पद विहार किया। ज्ञात रहे पांच मार्च से पंच दिवसीय पंच कल्याण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन आचार्य संघ सानिध्य में जुरहरा में होगा।
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