गुरु की निंदा करने वाला कभी संसार से तिर नहीं सकता जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज

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गुरु की निंदा करने वाला कभी संसार से तिर नहीं सकता
जैन मुनि प्रज्ञान सागर महाराज
नैनवा जिला बूंदी 6 सितंबर सोमवार 2025
शांति वीर धर्म स्थल पर वर्षा योग के दौरान जैन मुनि प्रज्ञानसागर महाराज ने बताया की गुरु तो वह संत होते हैं जो अपने शिष्य को डूबने से सदैव बचाते हैं
अंधेरे से प्रकाश में लाने वाले वह गुरु होते हैं गुरुओं की निंदा करता है वह संसार के अंदर प्रति भ्रमण
करता रहता है और नाना प्रकार के दुखों को उठना है
महाराज ने बताया ज्ञान देने वाले गुरु होते हैं हमारे गुरु आचार्य विमल सागर महाराज आचार्य सन्मति सागर अंकलीकर परंपरा के गुरु गुरु थे उनके त्याग तपस्या आज कोई संत नहीं कर सकता जीवन भर अनाज गेहूं का त्याग करके केले की रोटी ग्रहण करते थे अंतिम समय में उन्होंने केवल जल और दही मट्ठा आहार में लेना प्रारंभ किया था अंतिम समय में तो केवल मात्र जल ही ग्रहण करते थे
तप के बहुत बड़े साधक थे
जो मुंह से कहते थे वह शास्त्र बन जाते थे कांटे वाले मार्ग चलते थे तो फूलों के मार्ग बन जाते थे
बड़े-बड़े असाध्य रोगों का इलाज वह अपने मयूर पिछीका से करते थे
जब जीव के ज्ञान वर्णी कर्म का उदय होता है तो स्वयं की बुद्धि खराब कर देता है यह कर्म के कारण होता है अज्ञानी व्यक्ति साधु-संतों की निंदा करने से नहीं चूकते लोगों को भ्रमित करते हैं धर्म मार्ग से विचलित करते हैं ऐसे भक्त अज्ञानता के कारण कर रहे हैं जिन्हें ज्ञान का पूर्णता अभाव है दिगंबर संत तो प्राणी मात्र के कल्याण के लिए बने हैं
उन्होंने यह भी बताया की आचार्य विमल सागर महाराज के आचार्य सन्मति सागर महाराज शिष्य थे
जब सोनागिरी में मंगल प्रवेश हुआ था तो गुरु उन्हें लेने गए थे और उनका नमोस्तु किया था
उन्होंने बताया की शिष्य को नमोस्तु तो नहीं किया उन्हें दिगंबर संत को नमोस्तु किया था दिगंबर संत सदैव पूज्य होते हैं
आचार्य तपस्वी सम्राट सन्मति सागर जी महाराज की जितने भी प्रशंसा की जाए वह कम है कि उन्होंने कभी भी किसी वस्तु से धर्म के प्रति समझौता नहीं किया
जो आगम में लिखा हुआ है उसी के ऊपर सत्य उपदेश जीवन भर उन्होंने दिया इस कारण ही उन्हें तपस्वी सम्राट की उपाधि से अंकुलीकृत किया गया है

मनुष्य की अच्छी दृष्टि होने पर ही अच्छी बातें देखेगा
जैन मुनि प्रसिद्ध सागर महाराज ने धर्म सभा को बताया कि संसार का दूसरा नाम ही परेशानी है
राजा रंग सभी परेशान हैं कोई अपने दुख से हैं कोई दूसरे के दुख से परेशान सभी है पूजा पाठ करने वाला मनुष्य धर्म से दूर होने पर उत्तम शरीर स्वस्थ होने पर भी वह अस्वस्थ हो जाता है क्योंकि उसने धर्म को छोड़ दिया धर्म उत्तम शरीर को देने वाला है
धर्म ही जीव की रक्षा करने वाला और बचाने वाला होता है ऐसा मुनि ने बताया
महावीर कुमार सरावगी
चातुर्मास प्रचार मंत्री

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