गुरु की भक्ति में शक्ति : प्रमुख सागर

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दीमापुर: दीमापुर के दिगंबर जैन मंदिर में विराजित आचार्य प्रमुख सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में चल रहे भक्तामर विधान मे आज 46वे श्लोक का अर्थ बताते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जिस तरह आदिनाथ भगवान की भक्ति से आचार्य मानतुंग स्वामी की बेड़ियां टूट गई थी और भगवान महावीर की भक्ति से चंदनबाला की बेड़ियाँ टूट गईइ थी। उसी तरह अगर हम भी सच्ची प्रभु भक्ति और गुरु की भक्ति करें तो हमारे भी बंधन टूट जाएंगे। आज के समय में हमे बेड़ियों में कोई बांधे ऐसे प्रसंग तो कम देखने को मिलेंगे लेकिन हमारी मानसिकता को तरह-तरह की विकृतियों ने जरूर जकड़ रखा है और यह मानसिक बंधन शारीरिक बंधनों से भी कहीं अधिक पीड़ादायी और हानिप्रद है l ऐसे बंधनों से स्वयं को, समाज को ,आने वाली पीढ़ी को मुक्त करने का प्रभु भक्ति ही एकमात्र सहारा है l मोह के बंधन, परिवार के बंधन, संसार के बंधन तभी छूटेंगे जब हम किसी गुरु की शरण में जाएंगे। क्योंकि गुरु का आशीर्वाद ही हमें इन सभी बंधनों से मुक्त कर संसार सागर से पार करने का सामर्थ्य रखता है l उन्होंने कहा कि हमे भक्ति की राह पर चल कर मुक्त महसूस करने का और मुक्त होने का प्रयास करना चाहिए l मालूम हो की आचार्य श्री के सानिध्य में दीमापुर दिगंबर जैन समाज की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ। जिसमें अनिल कुमार सेठी सर्वसर्मति से अध्यक्ष चुने गए। आचार्य श्री ने कार्यकारिणी के सभी सदस्यों को अपना मंगल आशीष प्रदान कर आशीर्वाद दिया।

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