गुरु के चरणों में जीवन अर्पण है

0
2

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा, १० जुलाई २०२५ दिन गुरुवार
✨✨✨

गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण अवसर है जब शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। गुरु ज्ञान का स्रोत नहीं,बल्कि चेतना का विस्तारक होता है। गुरु शिष्य को ज्ञान नहीं,बल्कि एक बीज देता है,जिसे शिष्य को अपने भीतर विकसित करना होता है।गुरु अस्तित्व देता है, ज्ञान नहीं। वह हमारी चेतना को विस्तृत करता है, ज्ञान को नहीं। वह मात्र एक बीज देता है और शिष्य भूमि बनकर उस बीज को अंकुरित होने, पनपने व खिलने देता है। सच्चा शिष्यत्व गुरु के प्रेम और उपस्थिति में विलीन हो जाना है।

आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर जी मुनिराज ससंघ

के श्री चरणों में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर हम सभी का कोटि-कोटि नमोस्तु_
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here