गुरु आशीष के बिना संसार सागर से मुक्ति संभव नहीं -मुनिश्री विलोकसागर युगल मुनिराजों का 7वां दीक्षा दिवस मनाया गया

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गुरु आशीष के बिना संसार सागर से मुक्ति संभव नहीं -मुनिश्री विलोकसागर
युगल मुनिराजों का 7वां दीक्षा दिवस मनाया गया

मुरैना (मनोज जैन नायक) जीवन में गुरु के महत्व और आवश्यकता को नकारा नहीं जा सकता । आध्यात्मिक क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक सच्चे गुरु का होना अतिआवश्यक है । गुरु ही हमें अच्छे बुरे की पहचान कराते हुए आध्यात्म मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते है । आध्यात्मिक राह पर चलने वाले व्यक्तियों के लिए एक सच्चे और अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक है, जो उन्हें ज्ञान प्राप्त करने और व्यक्तिगत तथा आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। गुरु का सान्निध्य और ज्ञान शिष्य को असीमित क्षमता से परिचित कराता है और उसे अपने भीतर छिपे सामर्थ्य को पहचानने में मदद करता है । आध्यात्मिक गुरु एक ऐसा व्यक्तित्व होता है जो भक्ति, संयम, अध्यात्म, विश्वास और ज्ञान में शिष्यों का मार्गदर्शन करता है, वह अपने शिष्यों को आध्यात्मिक और संस्कारित विकास की ओर ले जाता है। गुरु अपने ज्ञान और अनुभव के माध्यम से शिष्यों को सांसारिक जीवन के भ्रम और संशय से बाहर निकालते हुए आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं और कृतज्ञता और शांति का भाव जगाते हैं। आध्यात्मिक गुरु वह होते है जो स्वयं के कल्याण के साथ प्राणी मात्र के कल्याण की भावना रखते हैं। गुरु जीवन के गहन सत्यों और नियमों को समझाते हैं, जिससे शिष्य के मन को प्रबुद्धता एवं एकाग्रता प्राप्त होती है। गुरु की उपस्थिति में सुकून और शांति का अनुभव होता है । एक सच्चा गुरु शब्दों से ज़्यादा अपने आचरण से सिखाता है, जिससे शिष्यों को प्रेरणा मिलती है। आध्यात्मिक गुरु की पहचान एक सच्चा गुरु भौतिकता, क्रोध, मान, माया और लोभ जैसी सांसारिक भावनाओं से दूर रहकर स्वयं का और अन्य लोगों का कल्याण करते हैं। उक्त उद्गार मुनिश्री विलोकसागरजी महाराज ने अपने 7वें मुनि दीक्षा दिवस पर बड़े जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए ।

अपने सातवें संयम दीक्षा दिवस के अवसर पर मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज ने गुरु के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में गुरु का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि गुरु ज्ञान और नैतिकता का मार्ग प्रशस्त करते हैं, चरित्र का निर्माण करते हैं और जीवन में सही दिशा दिखाते हैं। गुरु न केवल शैक्षिक प्रगति में बल्कि नैतिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास में भी मार्गदर्शन करते हैं, जिससे शिष्यों जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करने में सक्षम होता है। गुरु के बिना जीवन दिशाहीन हो सकता है, क्योंकि वे ज्ञान रूपी अमृत से शिष्य को सिंचित कर उसे चरित्रवान और समर्थ बनाते हैं। बिना गुरु के संयम के मार्ग पर चलना असंभव है, क्योंकि संयम की साधना करना तलवार की धार पर चलने जैसा है । एक गुरु ही हैं जो अपने ज्ञान, अनुभव और आचरण के द्वारा अपने शिष्यों, अनुयायियों को इस संसार के जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त कराकर मोक्ष मार्ग पर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करते हैं ।गुरु न केवल विद्या का, बल्कि सत्य, अहिंसा और संयम जैसे नैतिक मूल्यों का भी आदर्श होते हैं। वे शिष्य को आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर ले जाते हैं।
7वें संयम दीक्षा दिवस पर हुए विभिन्न आयोजन
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर में चातुर्मासरत आचार्यश्री आर्जवसागरजी महाराज के शिष्य युगल मुनिश्री विलोकसागरजी एवं मुनिश्री विबोधसागरजी महाराज का 7वां संयम दीक्षा दिवस समारोह विभिन्न कार्यक्रमों के साथ हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया ।
इस अवसर पर प्रातः अभिषेक, शांतिधारा एवं श्री जिनेन्द्र प्रभु का पूजन किया गया । इस अवसर पर कैलाशचंद राकेशकुमार जैन एवं एडवोकेट दिनेशचंद जैन वरैया परिवार ने पूज्य युगल मुनिराजों का पाद प्रक्षालन किया । अन्य लोगों ने चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन के पश्चात पूज्यश्री को जिनवाणी भेंट की । उपस्थित सभी श्रावक श्राविकाओं, बालिका मण्डल, महिला मंडल ने अष्टदृव्य से युगल मुनिराजों का पूजन करते हुए अर्घ्य समर्पित किए । भजन गायक एवं संगीतकार अरिहंत म्यूजिकल ग्रुप ने भक्तिमय भजनों की प्रस्तुति दी ।
ब्रह्मचारी भैयाजी, बहिनें एवं गुरुभक्त रहे उपस्थित
समारोह का संचालन ब्रह्मचारी नवीन भैयाजी जबलपुर द्वारा किया गया । संयम दीक्षा दिवस के पावन अवसर पर ब्रह्मचारी संजय भैयाजी बम्होरी, राहुल भैयाजी, ब्रह्मचारी बहिन लवली दीदी, देशना दीदी, विशाला दीदी ललितपुर, टीटू जैन, राकेश जैन दिल्ली एवं ललितपुर के गुरुभक्तों सहित सैकड़ों की संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे । कार्यक्रम के समापन पर पुण्यार्जक परिवार कैलाशचंद राकेश जैन परिवार की ओर से श्री सिद्धचक्र विधान पत्रिका का विमोचन किया गया ।

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