ग्रीष्मकालीन श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिविर 25 मई से

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दस दिवसीय शिविर में संस्कारों का होगा बीजारोपण

मुरैना (मनोज जैन नायक) आधुनिकता की अंधी दौड़ में आज नैतिकता, आदर्श एवं परम्परा लुप्त होती जा रही है । ऐसी विषम परिस्थितियों में आगम परम्परा एवं लुप्त होते संस्कारों की पुर्नस्थापना की पवित्र भावना के साथ आचार्यश्री विद्यासागर, आचार्यश्री समयसागर, आचार्यश्री आर्जवसागर, मुनिश्री विलोकसागर, मुनिश्री विबोधसागर महाराज के आशीर्वाद एवं निर्यापक श्रमण मुनिपुंगव सुधासागर महाराज की पावन प्रेरणा से श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर जयपुर द्वारा भारत एवं देश विदेश में जैन परंपरानुसार श्रमण संस्कृति संस्कार शिक्षण शिवरों का आयोजन ग्रीष्मकालीन अवकाश में किया जा रहा है । धर्म नगरी मुरैना में उक्त शिविरों का आयोजन नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन पंचायती बड़ा मंदिर एवं श्री गोपाल दिगंबर जैन संस्कृत विद्यालय में 25 मई से 03 जून तक होगा ।
शिविर संचालन हेतु हुआ समिति का गठन
शिक्षण शिविर में चम्बल संभाग के क्षेत्रीय प्रभारी विद्वत नवनीत शास्त्री मुरैना एवं आशीष शास्त्री मबई ने जानकारी देते हुए बताया कि व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन हेतु क्षेत्रीय प्रभारी प्राचार्य वीरेंद्र जैन बाबा, मुख्य संयोजक राजकुमार जैन वरैया एवं अजय जैन गोसपुर, सुरेश जैन शिक्षक, अनिल नायक गढ़ी, सुभाषचंद जैन सेंथरी, अरविंद बिल्लू पान, जयचंद नंदपुरा, शैलेन्द्र सर्राफ, राजीव जैन टीटू, शशांक जैन, राकेश जैन शास्त्री , अनिरुद्ध जैन, धर्मेंद्र कुमार जैन, सतेंद्र जैन को व्यवस्था समिति में सदस्य मनोनीत किया गया है ।
नगर में विराजमान मुनिश्री विलोकसागर एवं मुनिश्री विबोधसागर महाराज के सान्निध्य एवं बाल ब्रह्मचारी संजय भैयाजी के निर्देशन में रविवार 25 मई को प्रातः 07 बजे शिविरों का सामूहिक शुभारंभ होगा एवं मंगलवार 03 जून को सामूहिक समापन होगा । इस अवसर पर स्थानीय विद्वान विद्वत श्री महेन्द्रकुमार शास्त्री, विद्वत संजय शास्त्री सिहोनिया, प्राचार्य चक्रेश शास्त्री, मनोज शास्त्री विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे ।
ध्वजारोहण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन से होगा शुभारंभ
शिविर के शुभारंभ पर वरिष्ठ अधिवक्ता करनसिंह योगेंद्र जैन ध्वजारोहण, अधिवक्ता पदमचंद सिद्धार्थ जैन चित्र अनावरण एवं प्रेमचंद पंकज जैन वंदना साड़ी दीप प्रज्वलन करेंगे । मंगल कलश स्थापना यतींद्रकुमार संजय जैन, महावीरप्रसाद विमल जैन बघपुरा, ममता जैन सरला जैन द्वारा एवं मां जिनवाणी की स्थापना मुन्नीदेवी राजकुमार वरैया, नेमीचंद विमल जैन बर्तन वाले, मुन्नालाल रोबिन जैन, महेशचन्द्र वनवारीलाल जैन के कर कमलों द्वारा स्थापित की जाएगी । शिविर समापन पर शिवरार्थियों के स्वल्पाहार की व्यवस्था करने का सौभाग्य पुष्पलता ओमप्रकाश जैन गोपालपुरा को प्राप्त हुआ है ।
शिक्षण शिविर के प्रतिदिन के कार्यक्रम
शिविर के दौरान 25 मई से 03 जून तक निरंतर सांगानेर से आए हुए विद्वत सर्वश्री नीरज शास्त्री भंगवा, विद्वत सुरेश शास्त्री भंगवा, विद्वत राहुल शास्त्री बमरोली, विद्वत आशीष शास्त्री मबई, विद्वत मयंक शास्त्री द्वारा अभिषेक पूजन, प्रथम भाग, द्वितीय भाग, छहढाला, भक्तामर, इष्टोपदेश, द्रव्यसंग्रह, तत्वार्थसूत्र का शिक्षण/प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा । प्रतिदिन प्रात: 6:30 से 7:30 तक सामूहिक अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, 7:45 से 8:45 बजे तक सभी विषयों की कक्षाएं एक साथ, शाम 07 बजे गुरुभक्ति एवं आरती, 7:30 से 8:30 बजे सभी बिषय की कक्षाएं, रात्रि – 8:30 से 9:15 तक सांगानेर से पधारे विद्वानों के प्रवचन एवं रात्रि- 9:15 से सांस्कृतिक कार्यक्रम होगें ।
ग्रीष्मकालीन शिविरों की आवश्यकता क्यों ?
शिविर आयोजन समिति के नायक अनिल जैन गढ़ी वाले ने ग्रीष्मकालीन शिविरों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान में सभी लोग अपने बच्चों को कॉन्वेंट इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अध्ययन हेतु भेज रहे हैं। पाश्चात्य सभ्यता से ओतप्रोत इन कॉन्वेंट स्कूलों में किताबी शिक्षा तो दी जाती है लेकिन संस्कार नहीं दिए जाते । इन स्कूलों में अध्ययन करने वाले बच्चे किताबी ज्ञान तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन अपनी संस्कृति और सिद्धांतों से कोसों दूर हो जाते है । वे अपने धार्मिक क्रियाकलापों, रीतिरिवाज़ों एवं संस्कारों से विमुख हो जाते है । ग्रीष्मकालीन शिक्षण शिवरों के माध्यम से बच्चों को धार्मिक क्रियाकलापों का प्रशिक्षण देते हुए नवीन संस्कारों का बीजारोपण किया जाता है । अपनी संस्कृति, अपने रीतिरिवाज़ों को चिरस्मरणीय एवं अक्षुण्ण बनाएं रखने के लिए इन शिविरों का आयोजन नितांत आवश्यक है ।

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