गृहस्थ जीवन को छोड़कर संयम व त्याग के मार्ग पर प्रशस्त हुए

0
2

विशाल चतुर्विद संघ के बीच बून्दी निवासी मनोज कुमार कासलीवाल बने दिगम्बर मुनि
बूंदी, 14 अपै्रल। इंदौर के मोदी जी की जैन नसियां में 11 अपै्रल को आयोजित विशाल चतुर्विद संघ तथा विशाल जनसमूह के बीच में बून्दी निवासी मनोज कुमार कासलीवाल ने दिगम्बर मुनि की दीक्षा ग्रहण की। अब दीक्षा के बाद 108 विपिन सागर महाराज के नाम से जाना जाएगा। वह अब जैन समाज में पंच परमेष्ठी के श्रेणी में आ गए हैं। पिच्छी कमंडलधारी जैन मुनि बन गए हैं।
मुनि श्री विपिन सागर महाराज को उनके परिवारजन ने पिच्छी कमंडल शास्त्र भेंट किए तथा दूसरे दिन मुनि विपिन सागर महाराज को प्रथम आहार देने का सौभाग्य परिवारजन को मिला।
बून्दी सकल जैन समाज के संरक्षक ओमप्रकाश बडजात्या ने बताया कि जैन नसियां इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में विशाल चतुर्विद संघ एवं समाजबंधुओं के साथ साथ परिवारजन उनकी पत्नि, पुत्र, पुत्रवधु, पुत्री-दामाद, उनके भाई सहित परिवार के 45 सदस्य भी दीक्षा कार्यक्रम के गवाह बने। दीक्षा कार्यक्रम की शुरुआत में प्रातः 5 बजे एलक श्री विपिन सागर महाराज के केश लोंच का कार्यक्रम हुआ। केश लोच के समय पर चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आई। सुबह 8 बजे मुख्य दीक्षा कार्यक्रम शुरू हुआ। आचार्य 108 विशद सागर महाराज ने विपिन सागर महाराज को जैन धर्म के अनुसार विधि विधान से दीक्षा दिलवाई। आचार्यश्री विशद सागर महाराज ने अपने उद्बोधन में उनका नाम 108 मुनि विपिन सागर महाराज रखा।
दीक्षा के पूर्व परिवार के सदस्यों को बुलाया गया। आचार्य विशद सागर महाराज ने विपिन सागर महाराज से पूछा आज आपको मुनि दीक्षा दी जा रही है, अब आप गृहस्थ जीवन को छोड़कर साधु बनने वाले हैं। आप गृहस्थ जीवन में जाना चाहते हो तो अभी भी जा सकते हैं। इस पर विपिन सागर महाराज ने कहा कि मैं संयम एवं त्याग के मार्ग पर चलना चाहता हूं और गृहस्थ जीवन को जीवनभर के लिए त्याग करता हूं। आचार्य, उपाध्याय, मुनि एवं आर्यिका तथा विशाल जैन समाज इस दीक्षा समारोह का साक्षी रहा।
इसके बाद उनको दीक्षा देने का कार्यक्रम शुरू हुआ। उनका विधि विधान से अभिषेक किया गया। उन्होंने लंगोट को उतारकर एलक विपिन सागर से दिगम्बर मुनि विपिन सागर बने।
रविन्द्र काला
जैन गजट संवाददाता, बून्दी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here