ग्रंथों के अध्ययन से मिटती हैं मन की ग्रंथियां : मुनि श्री साध्यसागर जी

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ग्रंथों के अध्ययन से मिटती हैं मन की ग्रंथियां : मुनि श्री साध्यसागर जी

“घर का पुस्तकालय सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है”

सनावद। “ग्रंथों के अध्ययन से मन की ग्रंथियां मिटती हैं, पुस्तकें मन की पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत हैं।” — यह उद्गार पट्टाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि श्री साध्यसागर जी महाराज ने पूर्णाश्रय स्थित पुस्तकालय में अपने प्रवास के दौरान व्यक्त किए।
मुनिश्री नगर के युवा जैन विद्वान एवं जैन जगत में सर्वाधिक प्रसारित 125 वर्ष प्राचीन ‘जैन गजट’ के सह-संपादक राजेन्द्र जैन महावीर के निवास स्थित पुस्तकालय पधारे। परिवारजनों ने उनका चरण प्रक्षालन कर आशीर्वाद ग्रहण किया। इस अवसर पर 92 वर्षीय केसर बाई जैन ने भक्ति भाव से मुनिश्री को एक सुंदर भजन सुनाया।
राजेन्द्र महावीर ने जानकारी दी कि उनके पूज्य पिताश्री स्वर्गीय श्री पूरनचंद जैन की प्रेरणा से घर में लगभग 2000 पुस्तकों का संग्रह किया गया है। इनमें धार्मिक ग्रंथों के साथ सामाजिक एवं प्रेरणादायक पुस्तकें भी शामिल हैं।

मुनिश्री साध्यसागर जी ने कहा —
> “घर में पुस्तकालय होना सौभाग्य की बात है। यह न केवल ज्ञान का भंडार है बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

पुस्तकों को अपना सच्चा मित्र बनाइए — ये कभी धोखा नहीं देतीं।”
कार्यक्रम में समाजसेवी मानव समिति अध्यक्ष संदीप चौधरी, नवनीत जैन, देवेंद्र काका, शेलू जैन, अनुपमा जैन, महासमिति अध्यक्ष संध्या सुनील पंचोलिया, मयंक जैन सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे।

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