ग्रैंड पैरेंट्स डे —- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल

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दादा-दादी दिवस सितम्बर के दूसरे रविवार को मनाया जाता है. इस दिन बच्चे अपने गैंड पेरेंट्स के साथ समय बिताते हैं और उन्हें गिफ्ट देते हैं.
हर साल पूरे विश्व में सितंबर महीने के दूसरे रविवार को ग्रैंडपेरेंट्स डे मनाया जाता है. ग्रैंड पेरेंट्स डे पर बच्चे अपने दादा दादी के प्रति अपने लगाव और प्यार दिखाते हैं. मदर्स डे और फादर्स डे की तरह पूरा दिन अपने दादा-दादी को समर्पित है. 1978 में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने दादा-दादी दिवस के रूप में मनाए देने की घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिका में पहला राष्ट्रीय दादा-दादी दिवस 10 सितंबर 1978 को मनाया गया था. माता-पिता अपने बच्चे के लिए हर समय नहीं रह सकते हैं और उस समय दादा-दादी एक बड़ी भूमिका निभाते हैं.
इस खास दिन की शुरुआत 1970 में हुई थी. अमेरिका में मैरियन मैकुडे नाम की एक दादी के 43 ग्रैंड बच्चे थे. वे चाहती थी किग्रैंड पैरेंट़्स और ग्रैंड चिल्ड्रन की बीच आपसी संबंध बढ़िया होने चाहिए. सभी एक दूसरे के साथ समय बिताएं. इसके लिए उन्होंने 1970 में एक अभियान छेड़ा था.वे इस दिन को नेशनल हॉलीडे बनाना चाहती थीं, ताकि सभी बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ समय बिताएं. मैरियन मैकुडे ने 9 साल तक ये अभियान चलाया. जिसके अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने 1979 को ग्रैंड पैरेंट्स डे घोषित किया. सबसे पहले एज यूके नाम की एक चैरिटी ने 1990 में ग्रैंड पैरेंट्स डे मनाया.
महत्व
दादा-दादी का बच्चों के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वह अपने पोती-पोतियों के साथ खेलना और उनके साथ समय बिताना बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं. वह अपने अनुभवों के जरिए बच्चों को भी कई बातें सिखाते हैं.
दादा-दादी दिवस कई देशों द्वारा साल भर में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है. अमेरिका में, इस दिन को मजदूर दिवस के बाद पहले रविवार के रूप में चिह्नित किया जाता है, जो सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है.  इसी तरह का त्योहार ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, हांगकांग, जापान, फिलीपींस, पोलैंड और अन्य देशों में भी वर्ष के दौरान अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है.
उनकी पसंद का दें उपहार-
अगर उन्हें गार्डेनिंग पसंद है, तो पौधे गिफ्ट करें. अगर उन्हें पूजा-पाठ करना पसंद हो, तो उन्हें धार्मिक किताबें, ऑडियो या वीडियो सीडी गिफ्ट करें. इसके साथ उन्हें कोई नई टेक्निक सीखा सकते हैं. आप चाहें तो उन्हें सरप्राइज डिनर पर भी लेकर जा सकते हैं. इस दिन उनके साथ क्वालिटी टाइम बिताएं या तो एक पूरे परिवार के साथ गेट टूगेदर प्लान करें. इस दिन नानी-दादी को कहानियां सुनाने को कहें. साथ ही उनके प्रति आभार भी व्यक्त करें.
आज के समय में जब हम एक न्यूक्लियर फैमिली में रह रहें हैं तो, हमारे पास ऐसा कोई नहीं है जिससे हम जिंदगी के कुछ जरूरी सीख लें। दादी-दादी या नाना-नानी हमारी जिंदगी में इसी कमी को दूर कर सकते हैं। जी हां, हमारे दादा-दादी ने एक लंबी जिंदगी जी होती है इसलिए उनके पास जीवन के हर पहलू का अनुभव होता है। उनके ये अनुभव हमें स्मार्ट बनाते हैं और मुश्किलों से लड़ना सीखाते हैं। पर मुश्किल ये है कि हम अपने ग्रैंड पेरेंट्स को उतना महत्व ही नहीं देते कि हम उनसे कुछ सीख सकें। पर आज हम आपको ऐसी ही बातों से अवगत करवाएंगे जो कि आप अपने दादी-दादी या नाना-नानी से ही सीख सकते हैं। साथ ही ये चीजें आपको जीवन भर काम आएंगी और आपको पढ़ाई-लिखाई सहित शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखने में भी मदद करेंगी।
1. दादा-दादी से सीखें अनुशासन
आज कल के बच्चों से सबसे ज्यादा अनुशासन की कमी होती है। बच्चों को समय का महत्व नहीं पता होता। वे कभी भी उठते हैं और कभी भी सोते हैं। किसी भी काम को कभी भी करने की चाह रखते हैं। जो कि गलत है। सही वक्त में किया गया काम आपको ज्यादा परिणाम दे सकता है, जबकि गलत समय में किया गया सही काम उतना फायदेमंद नहीं होता। इसलिए आपको सबसे पहले अपने दादा-दादी से आपको अनुशासन में रहना सीखना चाहिए। इससे आप जहां भी जाएं, जीवन में जो भी करें सफल जरूर होंगे।
2.  सीखे  भाषाओं का ज्ञान
आपको जितनी भाषाएं आएंगी आप उतने खास व्यक्तित्व के रूप में तैयार होंगे। भाषाओं के साथ एक खास बात ये है कि ये समय के साथ बदलती रहती हैं और पुराने समय के लोगों के पास सही और सटिक ज्ञान होता है। इसलिए आप उनसे अपनी पारंपरिक भाषा के अलावा अन्य कई भाषाएं सीख सकते हैं। ये आपको कॉन्फिडेंस देगी और आपको बेहतर व्यक्तित्व के रूप में तैयार करेगी। इसके अलावा ये भाषाएं आपको पढ़ाई-लिखाई में भी मदद करती हैं।
3. मूल्य और नैतिकता
एक ऐसी दुनिया में जहां माता-पिता दोनों का काम करने का चले जाते हैं, वहां दादा-दादी ही अपने पोते-पोतियों पर चौकस और सतर्क नजर रखते हैं। वे उनके व्यवहार का निरीक्षण करते हैं और गलत होने पर उन्हें सुधारते हैं और अच्छे व्यवहार की प्रशंसा करते हैं। इस प्रकार वे उनमें जीवन के कुछ खास मूल्य और नैतिकता सिखाते हैं। आप अपने दादा-दादी से सही और गलत की सही पहचान करना सीख सकते हैं। उनसे मेहनत करना और चीजों को खुद से करने की भावना सीख सकते हैं।
4. घर का खाना खाने की आदत
घर का खाना आपको हमेशा हेल्दी रखने में मदद करता है। साथ ही जब आप घर का खाना खाते हैं तो पारंपरिक पकवानों और मौसमी सब्जियों को भी खाते हैं, जो कि नेचुरल होने के साथ आपके शरीर के लिए हर तरह से हेल्दी होते हैं। तो, अगर आपके घर में आपके दादा-दादी हैं तो, आपको उनसे घर का खाना खाने की आदत सीखनी चाहिए। घर का खाना-खासे से शरीर को नेचुरल न्यूट्रिएंट्स और विटामिन मिलते हैं जो कि आपको मोटापा, डायबिटीज, क्रेविंग और मानसिक रोगों से बचाव में भी मदद करते हैं।
5. फैमिली और दोस्तों के साथ रहना
फैमिली और दोस्तों के साथ रहना कभी भी आपको अकेला महसूस नहीं करवाता। ये आपको सामाजिक व्यक्तित्व बनाने में मदद करता है। साथ ही आज के समय में जब हम मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं तो, फैमिली और दोस्तों के साथ रहने की आदत आपको हमेशा खुश रख सकता है। आपको कभी भी डिप्रेशन के लक्षण महसूस नहीं होंगे। आप कभी भी ऐसा महसूस नहीं करेंगे कि आपके अंदर लाइफ को लेकर निगेटिविटी है। तो, अपने दादा-दादी और नान-नानी से  फैमिली और दोस्तों के साथ समय बिताना और खुश रहना सीखें।
आपके दादा-दादी या नाना-नानी ने जीवन में अच्छा और बुरा सब देखा होता है। उन्हें संघर्ष करना आता है और हर हाल में खुश रहना आता है। ये वो गुण हैं जो कि आपको नौकरी और प्रोफेशनल लाइफ में भी मदद कर सकता है। तो, अपने दादी-दादी और नाना-नानी से प्यार करें और ये सभी अच्छी बातें उनसे सीखें।
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन  संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  09425006753

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